नई दिल्ली। महाराष्ट्र में हाथ से सत्ता जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी में बगावत हो सकती है। पार्टी की दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे ने संकेत दिए हैं कि वह अगले 12 दिसंबर को कोई बड़ा फैसला लेने वाली हैं। पंकजा चुनाव नतीजों के बाद खामोश हैं। क्योंकि उन्हें उनके चचेरे भाई धनंजय मुंडे ने चुनाव में हराया है। हालांकि पंकजा को आशंका है कि पार्टी के एक धड़े ने उन्हें हराने में अहम भूमिका निभाई है।

राज्य में भाजपा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। राज्य में शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन खत्म कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाई है। वहीं राज्य में भाजपा द्वारा अजित पवार के साथ जाने के खिलाफ भी एक वर्ग खुलकर विरोध कर रहा है। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एकनाथ खड़से ने अजित पवार के साथ हाथ मिलाने के लिए पूर्व सीएम देवेन्द्र फडणवीस की जमकर आलोचना की। खड़से को पार्टी ने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया।

वहीं पिछले पांच साल राज्य में फडणवीस ने सरकार अपने अधिकार में चलाई। जिसको लेकर तत्कालीन मंत्री पंकजा मुंडे फडणवीस उनसे नाराज रहती थी। हालांकि एक बार घोटालों के मामले में फडणवीस ने उन्हें बचाया। लेकिन पंकजा को लगता है कि राज्य में उनकी हार के पीछे एक गुट का हाथ है। जो पार्टी में अहम फैसले लेता है। असल में 2014 के चुनाव के बाद राज्य में सीएम की दौड़ की दौड़ में पकंजा भी दावेदार थी। लेकिन फडणवीस की दावेदारी के सामने उनकी एक नहीं चली।

पिछले एक महीने से पंकजा पार्टी में सक्रिय नहीं है। क्योंकि चुनाव में पंकजा को हार का सामना करना पड़ा है और चुनाव में उन्हें उनके चचेरे भाई धनंजय मुंडे ने हराया है। धनंजय ने एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और वह विधानपरिषद में एनसीपी के नेता थे। राज्य में शिवसेना,एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पंकजा ने सोशल मीडिया में अपनी पोस्ट लिखी है और लिखा है कि वह अगले 8-10 दिन में कुछ बड़ा फैसला लेंगी।

उन्होंने ये लिखा है कि वह 12 तक घोषणा करेंगी कि वह अब कौन से रास्ते में जाएंगी और उन्हें जाना है। पंकजा अपने पिता गोपीनाथ मुंडे के जन्मदिन यानी 12 दिसंबर को एक बड़ी रैली आयोजित करने जा रही हैं और उन्होंने अपने समर्थकों को इस रैली में आने के लिए कहा है। राज्य में पंकजा उन नेताओं में हैं जिनका चुनाव प्रचार पीएम नरेन्द्र ने भी किया था।