अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत उभरती महाशक्ति है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2022 तक भारत अपने दम पर अंतरिक्ष यात्री को स्पेस में भेज देगा। न जाने कितनी बच्चों की आंखों में अंतरिक्ष में उड़ने, उसे जानने समझने का सपना है। कुछ ऐसे ही बच्चों के सपनों को सोमवार को उस समय पंख मिले, जब उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) में मौजूद अंतरिक्ष यात्री रिचर्ड आर अर्नाल्ड से बात की। 

ये  बच्चे उत्तराखंड के सुदूर गांवों के थे, इसलिए भी ये लम्हा खास था। उनमें अंतरिक्ष को लेकर अपने हर सवाल का जवाब पाने की बेचैनी थी। लगातार हो रही बारिश, जगह-जगह सड़कें टूटने के बावजूद ये बच्चे 10 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर अपने सवालों का जवाब सीधे अंतरिक्ष यात्री से जानने पहुंचे थे। बच्चों ने स्पेस स्टेशन में मौजूद अर्नाल्ड से हर वह सवाल पूछा, जिसका उन्हें जवाब चाहिए था। मसलन बच्चों ने स्पेस के अनुभव, जीरो ग्रेविटी, स्पेस जंक, स्पेसवॉक, ब्लैकहोल, एलियन को देखने जैसे सवाल पूछे। पौड़ी गढ़वाल जिले की डबरालस्यूं पट्टी में पड़ने वाले तिमली स्थित श्री तिमली विद्यापीठ के प्रयासों से ये बच्चे अंतरिक्षयात्री से संवाद कर पाए। करीब 17 बच्चे इस संवाद में शामिल हुए। इनमें 11 लड़के और छह लड़कियां शामिल थीं। 

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अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के पब्लिक आउटरीचिंग प्रोग्राम के अंतर्गत एमैच्योर रेडियो ऑन द इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (एरिस) के स्कूल से संपर्क कार्यक्रम के तहत बच्चों को अंतरिक्षयात्रियों से बात करने का अवसर मिला। एचएएल स्काउट्स ग्रुप एमैच्योर रेडियो क्लब लखनऊ के सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह संपर्क बेल्जियम में ओएन4आईएसएस के टेलीब्रिज के जरिये साधा गया। बच्चे अपने सवालों से जवाब सीधे अंतरिक्षयात्री से पाकर काफी खुश थे। श्री तिमली विद्यापीठ के अलावा राजकीय इंटर कॉलेज देवीखेत, राजकीय इंटर कॉलेज चेल्यूसैंण, आदर्श बाल भारती चेल्यूसैंण के बच्चों ने भी अंतरिक्षयात्री आर्नाल्ड से बात की। श्री तिमली विद्यापीठ के आशीष डबराल के अनुसार, यह बच्चों के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष संचार को जानने समझने का दुर्लभ अवसर था। 

गांव के बच्चों के अंतरिक्षयात्रियों से संवाद करना कई मायने में खास है। यह उस दौर में हो रहा है जब उत्तराखंड के गांव लगातार वीरान हो रहे हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा, जीवनयापन के लिए लोग पहाड़ों से पलायन कर रहे हैं। ऐसे में तिमली विद्यापीठ सफलता की नई कहानियां लिख रहा है। वैदिक पद्धति से पढ़ाई होने के बावजूद यहां के बच्चे न केवल अंग्रेजी में अच्छा संवाद करते हैं, बल्कि उनके रुचि के विषय अंतरिक्ष और रोबोटिक्स हैं।  तिमली विद्यापीठ रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और माइंडफुलनेस प्रोग्राम शुरू करने वाला ग्रामीण उत्तराखंड का पहला विद्यालय है। यही नहीं यहां के बच्चे वर्ल्ड रोबोटिक्स ओलंपियाड में भी हिस्सा ले चुके हैं।

तिमली विद्यापीठ के संस्थापक आशीष डबराल गुड़गांव स्थित एक ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर तैनात हैं। उनकी कोशिश पहाड़ के बच्चों को आधुनिक शिक्षा दिलाने की है। वह बच्चों को पढ़ाने के लिए हर सप्ताह के अंत में गुड़गांव से गांव पहुंचते हैं। उन्होंने पहाड़ के कई स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा की भी शुरुआत की है।