70वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को होने वाली परेड इस बार कई मायनों में ऐतिहासिक होगी। मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल का अंतिम गणतंत्र दिवस यादगार बनने जा रहा है। इसकी खास वजह है 'शंखनाद'। दरअसल, सेना ने ब्रिटिश काल से बजाई जाने वाली मार्शल धुन को बदल दिया है। अब उसकी जगह ‘भारतीय धुन’ का इस्तेमाल होगा। इस बार राजपथ पर शास्त्रीय संगीत से बनाई ‘शंखनाद’ धुन सुनाई देगी। 

रिटायर्ड ब्रिगेडियर विवेक सोहेल ने ‘देश को आंच न आए’ नाम का गाना तैयार किया है। इसके लिए धुन नागपुर की डा. तनुजा नाफडे ने तैयार की। यह धुन अब पूरी सेना के लिए खास बन गई है। यह धुन सेना की तरफ से राजपथ पर सुनाई देगी। डा. तनुजा नाफडे का कहना है कि यह धुन बनाना मेरे लिए बड़ी चुनौती थी। शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी हार्मनी को मिलाकर धुन बनाई गई है। भारतीय सेना के लिए अपने संगीत के जरिये कुछ योगदान देना गर्व का लम्हा है। 

आर्मी के जवान ही अब तक म्यूजिक बनाते रहे हैं लेकिन भारतीय धुन बनाने के लिए पहली बार सेना से बाहर के व्यक्ति को यह काम दिया गया। तब जाकर डा. नाफडे ने धुन तैयार की।  

दरअसल, सेना में अब तक पश्चिमी संगीत की धुन गुंजती थी। जवानों को वेस्टर्न म्यूजिक का ही प्रशिक्षण दिया जाता रहा। अब तक ब्रिटिश संगीत को लेकर ही इंडियन बैंड के गाने तैयार किए गए लेकिन महार रेजीमेंट में सबसे पहले यह बात सामने आई। तभी सेना ने डा. तनुजा नाफडे से संपर्क किया और भारतीय धुन बनाने की बात की। 

इस धुन को तैयार करने के लिए 36 कलाकारों की जरूरत थी। डा. नाफडे ने सभी कलाकारों से लगातार अभ्यास करवाया। उनका कहना है कि सेना में पश्चिमी धुन बनाने वाले कलाकार हैं। उन्हें शास्त्रीय संगीत सिखाना मुश्किल काम था लेकिन सेना के जवान ने जल्दी से धुन पकड़ ली और कम समय में ही यह तैयार भी हो गई। 

इस बार के गणतंत्र दिवस परेड में भारत ‘नारी शक्ति’का प्रदर्शन करेगा। असम राइफल की एक पूर्ण महिला टुकड़ी के अलावा कई सैन्य टुकड़ियों का नेतृत्व महिलाएं करेंगी। महिला अधिकारियों का बाइक पर स्टंट भी देखने को मिलेगा। पहली बार आजाद हिंद फौज का हिस्सा रहे 90 साल से अधिक उम्र के चार सैनिक भी इस परेड में शामिल होंगे।