1965 और 1971 की जंग में वीरता दिखाने वाले सेना के एक रिटायर्ड कर्नल को 77 साल की उम्र में यूपी पुलिस ने प्रशासनिक दबाव में आकर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यही नहीं उन्हें अपराधियों की तरह हथकड़ी लगाई और थाने में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। घटना नोएडा के सेक्टर-29 की है। यहां रहने वाले एक एडीएम की पत्नी ने रिटायर्ड कर्नल पर कथित तौर पर छेड़छाड़ और मारपीट करने का आरोप लगाते हुए एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज कराया। हालांकि एससीएसटी स्पेशल कोर्ट में घटनास्थल की सीसीटीवी फुटेज पेश किये जाने के बाद रिटायर्ड कर्नल वीरेंद्र सिंह चौहान को सोमवार को जमानत मिल गई। 

दरअसल, कोर्ट में बचाव पक्ष के वकील ने जो सीसीटीवी फुटेज पेश की, उसमें कुछ लोग कर्नल से मारपीट कर रहे हैं। पुलिस जांच में भी एडीएम और उनकी पत्नी के पक्ष में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं मिला। वहीं रिटायर्ड कर्नल के पक्ष में तीन रिटायर्ड वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने बयान दिए। बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट में बताया कि कर्नल के पड़ोस में रहने वाले एडीएम से अवैध निर्माण को लेकर उनका विवाद चल रहा है। कर्नल ने इसकी शिकायत प्राधिकरण से की थी। तभी उन्हें उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एडीएम और उनकी पत्नी द्वारा फर्जी मामले में फंसाया गया। 

कर्नल चौहान के साथ मारपीट करने वाले एडीएम हरीश चंद्र के गनर राहुल नागर और नौकर जितेंद्र अवस्थी को पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार किया था। उन्हें भी सोमवार को जमानत मिल गई। पुलिस अब एडीएम, उनकी पत्नी व अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की कोशिश कर रही है। सेना के सम्मानित अधिकारी से हुए दुर्व्यवहार से नोएडा में रहने वाले पूर्व सैन्यकर्मियों में बेहद नाराजगी है। कर्नल के समर्थन में उतरे रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों ने तत्कालीन सीओ व एसएचओ को निलंबित करने की मांग की है। हालांकि कुछ दिन पहले ही दोनों का ट्रांसफर किया जा चुका है।

दरअसल, सेक्टर-29 में कर्नल चौहान के पड़ोस में रहने वाले एडीएम हरीश चंद्र की पत्नी उषा चंद्र ने 14 अगस्त को नोएडा के सेक्टर-20 थाने में कर्नल के खिलाफ छेड़छाड़, अगवा करने का प्रयास समेत एससीएसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद एडीएम ने अपनी कुर्सी की हनक दिखाते हुए पुलिस पर कथित तौर पर दबाव बनाया और रिटायर्ड कर्नल को जेल भिजवा दिया था। 

रिटायर्ड कर्नल का आरोप है कि पुलिस ने मानवाधिकार नियमों के विपरीत उन्हें हथकड़ी लगाकर कोर्ट में पेश किया था। गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस ने उनकी काफी बेइज्जती की थी। उन्हें थाने में फर्श पर बैठाया गया। उनकी कोई बात नहीं सुनी गई। सेना के एक सम्मानित पूर्व अधिकारी के खिलाफ हुए दुर्व्यहार के बाद नोएडा में रहने वाले पूर्व सैन्य अधिकारियों ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इन लोगों ने एसएसपी से मुलाकात कर सारी कहानी बताई। इसके  बाद हुई जांच में एडीएम और उनकी पत्नी का झूठ तथा पुलिस की कारगुजारी सामने आ गई। जांच में पता चला कि एडीएम की पत्नी उषा वर्मा ने रिटायर्ड कर्नल के खिलाफ जो आरोप लगाए हैं, वो पूरी तरह गलत हैं। एसएसपी के आदेश के  बाद रिटायर्ड कर्नल की शिकायत पर थाना सेक्टर-20 में ही एडीएम हरीश चंद्र व उनकी पत्नी समेत सात लोगों के खिलाफ मारपीट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस अब बाकी आरोपियों की तलाश कर रही है।

उधर, सेना से रिटायर्ड कर्नल को पीटने के मामले में एडीएम को गिरफ्तार करने पर यूपी पुलिस का कहना है कि वह बड़े अधिकारी हैं। उन्हें यूं ही गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। इसके लिए पुलिस को कई प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।

14 अगस्त को पुलिस कंट्रोल रूम को हुई कॉल के बाद प्राथमिक जांच करने पहुंचे सेक्टर 29 चौकी इंचार्ज रवि तोमर को एसएसपी डॉ अजय पाल शर्मा ने काम में लापरवाही, अनुशासनहीनता व पुलिस की छवि खराब करने के आरोप में निलंबित कर दिया था। पुलिस ने कर्नल को जेल भेजने से पहले सीसीटीवी की  फुटेज तक नहीं देखी। कर्नल को हथकड़ी लगाने वाले मुंशी वासिफ अली को भी निलंबित कर दिया गया है।