नई दिल्ली : केन्द्रीय सुरक्षा बलों के जवानों को अब तीन साल ज्यादा नौकरी करने का मौका मिलेगा। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार की विशेष अनुमति याचिका खारिज करने के बाद ऐसा संभव हो पाएगा। सरकार ने यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के खिलाफ दायर की थी। जिसमें केंद्र ने कहा था कि इस तरह के फैसले नीतिगत फैसलों के दायरे में हैं और इन पर अदालतों को फैसला नहीं करना है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार के पास दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए मई माह के अंत तक का ही समय बचा हुआ है। 

हालांकि आदेश गृह मंत्रालय की अंतिम मंजूरी के बाद जारी किया जाएगा। सभी बलों के साथ कुछ दौर के परामर्श के बाद यह विश्लेषण किया गया है जवान से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक सभी कर्मियों की सेवानिवृत्ति की उम्र मौजूदा समय में कुछ मामलों में 57 वर्ष के बजाय 60 साल तय की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने दस मई को केंद्र की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी थी। याचिका में कहा गया था कि मामला नीतिगत है और इस पर कोर्ट को निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। केंद्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारियों की ओर से अधिवक्ता अंकुर छिब्बर ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार सुरक्षा बलों में सेवानिवृति के मामले में भेदभाव कर रही है। छिब्बर ने बताया कि अब जबकि शीर्ष न्यायालय ने केंद्र सरकार की अर्जी खारिज कर दी है, तब दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश ही लागू होगा। इस आदेश के अनुसार केंद्रीय बलों के सभी कर्मियों की सेवानिवृति 60 साल होगी।

इसी साल 31 जनवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक रिटायर्ड अधिकारी देव शर्मा की याचिका पर फैसला सुनाया था कि ‘गृह मंत्रालय 4 माह में यह सुनिश्चित करे कि सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सभी रैंकों में  सेवानिवृत्ति की उम्र समान हो’। 
अभी तक इन बलों जिनमें केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल- सीआरपीएफ, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी),सीमा सुरक्षा बल बीएसफ तथा सशस्त्र सीमा बल एसएसबी शामिल हैं, उनमें कमांडेंट से नीचे रैंक के जवान 57 साल की उम्र में रिटायर हो जाया करते हैं जबकि डीआईजी और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों की रिटायरमेंट की उम्र 60 वर्ष होती है।