पटना।  राष्ट्रीय जनता दल में नाराज नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है जो राजद में तेजस्वी को लेकर नाराज चल रहा है।  लेकिन इन नाराजगी को तेजस्वी यादव ने उस और ज्यादा बढ़ा लिया जब लोजपा के पूर्व सांसद एवं बाहुबली नेता रामा सिंह को राजद में लाने की कोशिशें शुरू हुई। इससे नाराज राजद के वरिष्ठ  नेता और उपाध्यक्ष रघुवंश प्रताप सिंह ने पद से इस्तीफा देकर नाराजगी जता दी वहीं पांच विधान पार्षदों ने सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड का दामन थाम लिया।  लेकिन  उसके बावजूद तेजस्वी यादव  रामा सिंह को पार्टी में शामिल कराने की जिद पर अड़े थे।

असल में रामा सिंह को पार्टी में शामिल करना का मकसद राधौपुर सीट पर तेजस्वी यादव की जीत को  सुनिश्चित करना है। तेजस्वी यादव को लगता है कि अगर बिहार में ऐसी स्थिति बनी की राजद सरकार बनाने की स्थिति में हो और वह चुनाव हार जाए तो उनका सियासी वजूद खत्म हो जाएगा। लिहाजा वह  तमाम तरह के विरोधों के बावजूद रामा सिंह को पार्टी में लाना चाहते थे। लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफे के बाद तेजस्वी की मुश्किलें बढ़ गई। हालांकि इसके बावजूद तेजस्वी रामा सिंह को पार्टी में लाने के पक्ष में थे। लेकिन एक बड़े बगावट की आहट राजद में सुनाई देने लगी। क्योंकि रघुवंश प्रसाद सिंह के साथ ही पार्टी के कई नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। जिसको लेकर पार्टी नेतृत्व ने रामा सिंह की नो  एंट्रींकर दी है।

असल में पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के भारी विरोध के चलते तारीख टल गई है लेकिन रामा सिंह के लिए तेजस्वी यादव काफी नरम बताए जा रहे हैं। हालांकि रामा सिंह को लेकर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह भी सहमत थे क्योंकि वह तेजस्वी के करीबी माने जाते हैं लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह के सख्त तेवरों को देखते हुए आलाकमान को हस्तक्षेप करना पड़ा। जानकारी के मुताबिक लालू प्रसाद ने रघुवंश प्रसाद को समझाने की कोशिश की है। लेकिन रघुवंश  प्रसाद सिंह ने साफ कर दिया कि वह या तो पार्टी में रहेंगे या फिर रामा सिंह। लिहाजा उनके तेवरों के देखते हुए राजद ने फिलहाल रामा सिंह के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं।  उधर रामा सिंह का कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें हफ्ते भर इंतजार करने के लिए कहा है और अगर आदेश आएगा तो वह पार्टी में शामिल होंगे।