यूपी में गठबंधन की राजनीति एक बार फिर विफल हो गयी है। इस साल जनवरी में बना तीन दलों का गठबंधन टूट गया है और आगे भी इस गठबंधन के एक साथ आने के आसार कम ही हैं। राज्य में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अलग-अलग राह पर चल दिए हैं। दोनों दलों ने राज्य में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद यूपी में एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन टूट गया है। एसपी-बीएसपी के अलग होने के बाद अब अजित सिंह की अगुवाई वाले राष्ट्रीय लोक दल ने भी यूपी में एकला चलो का नारा दे दिया है। हालांकि अभी तक इस मामले को कोई अधिकारिक फैसला नहीं हुआ है। लेकिन एसपी और बीएसपी के बाद अब आरएलडी भी अलग राह पर चलेगा।
यूपी में गठबंधन की राजनीति एक बार फिर विफल हो गयी है। इस साल जनवरी में बना तीन दलों का गठबंधन टूट गया है और आगे भी इस गठबंधन के एक साथ आने के आसार कम ही हैं। राज्य में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अलग-अलग राह पर चल दिए हैं। दोनों दलों ने राज्य में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया है।
इस में अब तीसरा दल राष्ट्रीय लोक दल भी शामिल हो गया है। आरएलडी भी राज्य के उपचुनाव में अकेले अपनी किस्मत आजमाएगा। यूपी की 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। आज आरएलडी के यूपी अध्यक्ष मसूद अहमद ने कहा कि वह भी गठबंधन से अलग हो रहा है और उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेगा। हालांकि इस पर अंतिम मोहर राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह और महासचिव जयंत चौधरी लगाएंगे।
लोकसभा चुनाव में आरएलडी एक भी सीट नहीं जीत पाया था। यह लगातार दूसरी बार हुआ जब पार्टी लोकसभा चुनाव में अपना खाता तक नहीं खोल पायी है। जबकि यूपी में हुए 2018 के कैराना लोकसभा उपचुनाव में रालोद का खाता खुला था। हालांकि तबस्सुम हसन कैराना से रालोद के टिकट पर चुनाव जीती थी। जबकि वह एसपी सदस्य थी।
लोकसभा चुनाव में अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी भी चुनाव हार गए हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट नेता अजित सिंह के मायावती के साथ चुनावी गठबंधन के पक्ष में नहीं थे। लेकिन चुनावी मजबूरियों के चलते अजित सिंह गठबंधन में शामिल हुए। इस गठबंधन में अजित सिंह की पार्टी को तीन सीटें दी गयी थी।
Last Updated Jun 5, 2019, 12:57 PM IST