कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई और कारोबारी राबर्ट वाड्रा के बारे में एक और बड़ा खुलासा माय नेशन कर रहा है। संयुक्त अरब अमीरात की एक कंपनी से राबर्ट वाड्रा के साथ पैसे का लेनदेन बगैर किसी कारोबारी रिश्ते के हुआ। कई बार लिए गए पैसे से वाड्रा ने लंदन में संपत्ति खरीदी है। प्रवर्तन निदेशालय के पास इस लेनदेन के पुख्ता सबूत हैं।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति राबर्ट वाड्रा के खिलाफ एक अवैध लेनदेन की जानकारी ईडी को मिली है। ये कहा जा रहा है कि वाड्रा ने यूएई की एक कंपनी से बगैर किसी व्यापारिक संबंधों के बावजूद पैसा लिया और इस पैसे से उन्होंने लंदन के 12 एलर्टन हाउस, ब्रायनस्टन स्क्वायर में संपत्ति खरीदी। इसकी जानकारी कंपनी के एकाउंट ऑडिट में मिली है। ऐसा माना जा रहा है कि ये पैसा हथियारों के डीलट संजय भंडारी के जरिए मिली है क्योंकि 2009 के यूपीए सरकार के दौरान ओएनजीसी और सैमसंग इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के बीच हुए डील की दलाली  के बाद पैसा मिला था।

ये जानकारी कंपनी के किए गए ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर की गयी है। इसका खुलासा सीसी थांपी द्वारा संचालित की जाने वाली स्काई लाइट इंवेस्टमेंट एफजेडई, दुबई की रिपोर्ट में हुआ है। इस मामले में ईडी राबर्ट वाड्रा से पूछताछ कर रही है। अगर देखा जाए तो ये कंपनी वाड्रा की स्काई लाइट हॉस्पेटिलिटी जैसे ही लगती है। माय नेशन के पास ऑडिट रिपोर्ट है और इसको देखकर लगता है कि लेन देन करना का तरीका वैसा ही जैसा पूरे विश्व में मुखौटा कंपनियों के जरिए मनी लांड्रिंग के लिए किया जाता है। ये डाक्यूमेंट इस बात की तरफ इशारा करते है कि पैसे को थांपी के एकाउंट नंबर 0085495727 में जमा किया गया और उसके बाद इस कंपनी का नाम बदल कर मैफेयर इंवेस्टमेंट एफजेडई कर दिया गया।

ईडी के सूत्रों का कहना है कि वाड्रा से इस लेनदेने के बारे में दबाव डालकर जानकारी मांगी जा रही है। लंदन के 12 एलर्टन हाउस, ब्रायनस्टन स्क्वायर में संपत्ति खरीदने से पहले वाड्रा के खाते में बड़ी राशि डिपॉजिट की गयी जबकि उनका इस कंपनी के साथ किसी भी तरह का लेनदेन नहीं था। अगर कोई कंपनी कोई कारोबार नहीं कर रही है और एकाउंट में पैसा आ और जा रहा है और उसका कोई हिसाब नहीं है। लंदन में संपत्ति खरीदने स पहले 25/06/2010 को 5,31,4000 दीनार और 8/06/2010 और 9/06/2010 को 92,85,889 दीनार को एकाउंट में जमा किया गया और इसके बाद इस संपत्ति को खरीदने के लिए करीब 96,99,980 दीनार(करीब 19 लाख डालर) निकाले गए।

इसके बाद थांपी कंपनी ने भंडारी से 19 लाख डालर से लंदन की संपत्ति खरीदी और उसके बाद इतनी ही राशि भंडार द्वारा संचालित सैनटेक इंटरनेशनल के एकाउंट में 30 जून 2010 में डाली गयी। इस  संपत्ति को रिनोवेशन के बाद बेचा गया और जिसे वाड्रा ने भुगतान किया। 
इससे पहले माय नेशन ने एक और एक्सक्लूसिव रिपोर्ट दी थी जिसमें वाड्रा और संजय भंडारी के रिश्तेदार के बीच भेजे गए ईमेल का खुलासा किया था और जिसमें इस बात का जिक्र होता है कि वाड्रा ने रिनोवेशन के लिए पैसा देना का वादा किया था।