- संघ से जुड़े संगठन संस्कार भारती के साथ कुंभ पहुंच रहे पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के कलाकार। नगालैंड, मिजोरम, मेघालय और सिक्किम से रोजाना 500 कलाकार यहां पहुंच रहे हैं।
गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम प्रयागराज में चल रहे कुंभ के धार्मिक महत्व को दुनिया भर ने स्वीकार किया है। लाखों लोग कुंभ मेले में पहुंचकर पवित्र संगम में डुबकी लगा रहे हैं। ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठन संस्कार भारती ने कुंभ के जरिये राष्ट्रीय एकता और हिंदू एकता को बढ़ावा देने की पहल की है। इसके लिए बाकायदा 'गंगा मनुहार' कार्यक्रम शुरू किया गया है।
संघ के प्रचारक और 'गंगा मनुहार' कार्यक्रम के आयोजक वेद प्रकाश ने 'माय नेशन' को बताया कि यह पूर्वोत्तर के लोगों को भारत के दूसरे हिस्सों से जोड़ने और कुंभ में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने की कोशिश है। उन्होंने बताया, 'आमतौर पर कुंभ को उत्तर भारत के लोगों की धार्मिक आस्था से ही जोड़कर देखा जाता है, लेकिन इस बार हमने पूर्वोत्तर के लोगों की कुंभ में भागीदारी को प्रोत्साहित किया है। हमने भारत के पूर्वोत्तर से यहां आने वालों लोगों के लिए अलग से व्यवस्था की है।'
संघ के प्रचारक ने बताया कि नगालैंड, मिजोरम, मेघालय और सिक्किम से रोजाना 500 कलाकार यहां आ रहे हैं। उन्होंने बताया, 'असम के कलाकार भी यहां आए हैं। हम नगालैंड के सभी जिलों की भागीदारी से खुश हैं। राज्य के सभी 16 अहम आदिवासी समूहों से प्रतिनिधि यहां पहुंचे हैं। खास बात यह है कि पूर्वोत्तर से यहां पहुंच रहे लोगों में बड़ी संख्या महिलाओं की है। संगम में डुबकी लगा रहे कलाकारों में ज्यादातर ईसाई हैं।'
प्रकाश ने कहा, 'हमारा हमेशा से मानना रहा है कि हम भले ही अलग-अलग धर्मों से हों या हमारी पूजा पद्धतियां अलग हों लेकिन भारत की संस्कृति एक है। यही हमें एकता के धागे में बांधे रखती है। कुंभ और संगम भारत की सामूहिक संस्कृति का प्रतीक है।' फरवरी के अंत तक पूर्वोत्तर से हजारों की संख्या में लोग कुंभ पहुंचेंगे। ये लोग 'भारत की संस्कृति' को मानते हैं।
भारत को जोड़ती है गंगा
'गंगा मनुहार' कार्यक्रम के जरिये संस्कार भारती गंगा के पवित्र जल को भारत के सभी राज्यों की स्थानीय नदियों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है। यह कोशिश विभिन्न राज्यों के स्थानीय कलाकारों को एक जगह लाना है।
वेद प्रकाश 'माय नेशन' से कहा, 'कलाकार प्रयागराज आएंगे और यहां से गंगाजल को अपने-अपने राज्यों में स्थानीय नदियों में प्रवाहित करेंगे। इसके साथ ही वे अपने राज्यों में लोगों को संस्कृति और भारत की भौगोलिक एकता के बारे में बताएंगे। साथ ही कुंभ के महत्व के बारे में जागरुक करेंगे। इसके बाद वे अपने-अपने राज्यों से जल लाकर गंगा में प्रवाहित करेंगे।'
वेद प्रकाश के अनुसार, संस्कार भारती देश भर में 175 जगहों तक गंगाजल पहुंचाएगी। साथ ही इनमें से 150 जगहों का पानी लाकर प्रयागराज में प्रवाहित किया जाएगा।
Last Updated Jan 26, 2019, 7:17 PM IST