भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में एक है। देश की अर्थव्यवस्था ने इसी साल फ्रांस की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़कर छटे स्थान में अपनी जगह बनायी है और उम्मीद की जा रही है कि कुछ समय बाद भारत ब्रिटेन से आगे निकल कर विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।  कुल मिलाकर इस साल देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी है। विश्व बैंक समेत कई बड़े एजेंसियों ने देश की अर्थव्यवस्था को सकारात्मक माना है। लेकिन देश में कुछ ऐसी घटनाएं घटित हुई, जिसे आगामी सालों में याद रखा जाएगा। इसके कारण निवेशक और आम आदमी ही नहीं सरकार भी प्रभावित हुई। पीएनबी घोटाले से लेकर आरबीआई गवर्नर के इस्तीफे तक के मुद्दों ने देश का ही नहीं दुनियाभर का ध्यान खींचा। जबकि तेजी से बढ़े शेयर बाजार ने सरकार की साख को गिरने से रोका।

ई-कॉमर्स कंपनी वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट में हुई मेगा डील

देश के इतिहास में ई कॉमर्स कंपनियों में ये सबसे बड़ी डील हुई थी। अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने 1.07 लाख करोड़ रुपए में भारतीय कंपनी फ्लिपकार्ट की 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी और इसके बाद वॉलमार्ट को भारत के ई-कॉमर्स मार्केट में सीधे पहुंचने का मौका मिल गया था। साथ ही ऑनलाइन सेगमेंट में भी उसने जगह बना ली। इससे पहले उसका कारोबार ऑफलाइन स्टोर तक ही सीमित था। इस सौदे से ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों बाजारों पर वॉलमार्ट का कब्जा हो गया है। हालांकि देश की ट्रेड यूनियनों का कहना था कि इससे घरेलू बाजार को नुकसान उठाना पड़ेगा

पीएनबी घोटाला


इस साल की शुरुआत ही भारतीय बैंकिंग सेक्टर के इस सबसे बड़े फ्रॉड के साथ हुई। मुंबई स्थित पीएनबी की ब्रेडी हाउस ब्रांच के डीजीएम ने 29 जनवरी को सीबीआई से शिकायत की। नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चौकसी के लिए बैंक के द्वारा एलओयू जारी हुए और फरवरी में पता चला कि घोटाला कुछ करोड़ों का नहीं बल्कि 13,700 करोड़ रुपए का था। इस घोटाले के सामने आने के बाद पीएनबी के शेयर में 45 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी थी और और शेयर 78.35 रुपए तक पहुंच गया था।

टीसीएस में आयी तेजी और कंपनी हुई 100 अरब डालर की


आईटी कंपनी टीसीएस का वैल्यूएशन अपने उच्च स्तर पर पहुंचा और इसके शेयर में चार फीसदी तक इजाफा हुआ । जिसके कारण टीसीएस 100 अरब डॉलर यानी 7 लाख करोड़ रुपए की कंपनी बन गयी और इस मार्केट कैप को हासिल करने वाली देश की दूसरी कंपनी बन गई। इससे पहले ये गौरव रिलायंस को मिला हुआ था।

रिलायंस दूसरी बार बनी 100 अरब डालर की कंपनी


रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) का मार्केट कैप जुलाई-2018 को एक बार फिर  100 अरब डॉलर का हआ। इससे पहले कंपनी का मार्केट कैप 2007 में 100 अरब डालर हुई थी। यानी 11 साल के बाद आरआईएल ने इस मुकाम को पाया। तीन महीने में दूसरी भारतीय कंपनी 100 अरब डॉलर के एलीट क्लब में शामिल हो गई। अप्रैल में टीसीएस ने ये मुकाम हासिल किया था। इसके बाद रिलायंस के शेयर में तेजी की वजह से मुकेश अंबानी की नेटवर्थ 3.10 लाख करोड़ रुपए हो गई थी। 

भाई-भाई न रहा, फोर्टिस विवाद से गिरी साख

देश के औद्योगिक घरानों में शुमार फोर्टिस बंधुओं का विवाद सुर्खियों में रहा। इससे कंपनी की साख तो गिरी, कंपनी का बाजार भाव पर भी इसका असर हुआ।  देश की दूसरी बड़ी हॉस्पिटल चेन फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह ने बड़े भाई मलविंदर सिंह के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में याचिका दाखिल की। उन्होंने मलविंदर पर फोर्टिस को डुबोने का आरोप लगाया। शिविंदर के मुताबिक आरएचसी होल्डिंग, रेलीगेयर और फोर्टिस के मैनेजमेंट में गड़बड़ी की वजह से कंपनी, शेयरहोल्डर और कर्मचारियों को नुकसान हुआ। हालांकि बाद में शिविंदर पर परिवार का दबाव पड़ा तो उन्होंने इसकी याचिका वापस ली।

कर्ज में डूबी आईएल एंड एफएस


विभिन्न औद्योगिक घरानों और सरकारी कंपनियों को सलाह देने वाली आईएलएफएस कंपनी के घाटे के कारण उसे डिफाल्ट करना पड़ा। आईएल एंड एफएस ग्रुप की कंपनियों ने छोटे-छोटे लोन चुकाने में डिफॉल्ट करना शुरू कर दिया। कंपनी का कर्ज बढ़कर 91000 करोड़ रुपए हो गया। हालात ये हो गए कि ग्रुप दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया। आईएल एंड एफएस को नॉन बैंकिंग फाइनेंस समूह है। आईएल एंड एफएस की वजह से यह आशंका पैदा हो गई कि पूरे नॉन बैंकिंग फाइनेंस सेक्टर में नकदी का संकट पैदा हो सकता है। 

पेट्रोल में लगी आग

देश में पेट्रोल की कीमतें पिछले कुछ दिनों से कम हुई हैं और इस साल के सबसे कम स्तर पर पहुंच गयी हैं। लेकिन मई में सरकार ने पेट्रोल की कीमतों में इजाफा नहीं किया लेकिन अक्टूबर से फिर कीमतें बढ़नी शुरू हो गयी थी और दिल्ली में पेट्रोल का रेट 84 रुपए तो मुंबई में 91.34 रुपए प्रति लीटर के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के रेट बढ़ने और डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट की वजह से ऐसा हुआ। राज्यों ने भी 2.5 रुपए प्रति लीटर वैट करने का फैसला किया और इसके बाद भाजपा शासित 12 राज्यों में पेट्रोल-डीजल 5रुपए तक सस्ते हुए।

रुपए ने बढ़ाई मुश्किलें


नौ अक्टूबर को रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर 74.39 पर पहुंच गया। क्रूड के रेट बढ़ने और अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर की वजह से रुपए को इस साल नुकसान हुआ। जनवरी से अक्टूबर तक इसमें 15 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। हालांकि केन्द्र सरकार ने भी रुपए में आ रही गिरावट के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। सरकार का कहना था कि रुपए को बाजार पर छोड़ देना चाहिए।


आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने दिया इस्तीफा


सरकार से विवादों के बाद उर्जित पटेल ने अपने पद से अचानक इस्तीफा देकर सरकार को मुश्किल में ला दिया। क्योंकि विपक्ष ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि सरकार के दबाव में पटेल ने इस्तीफा दिया। बैंकों के खिलाफ प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए), अलग पेमेंट-सेटलमेंट रेगुलेटर की सिफारिश, एनपीए के नियम जैसे मुद्दों पर आरबीआई और सरकार के बीच विवाद था।

लोन डिफॉल्टर विजय माल्या का प्रत्यर्पण


लंदन की वेस्टमिंस्टर अदालत ने 10 दिसंबर को भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण की इजाजत दी। प्रत्यर्पण पर आखिरी फैसला यूके की सरकार लेगी। माल्या पर भारतीय बैंकों के 9000 करोड़ रुपए बकाया हैं। इसके लिए सीबीआई और ईडी की टीम पहले ही लंदन पहुंच गयी थी। हालांकि माल्या को अभी तक लंदन से वापस नहीं लाया गया है। माल्या के मुद्दे पर विपक्ष के हमले झेल रही सरकार को जवाब देने का मौका मिल गया। वहीं पीएनबी घोटाले आरोपी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की उम्मीद भी बढ़ी।