नई दिल्ली। राजस्थान में सियासी उठापटक जारी है और राज्य में कांग्रेस सरकार पर खतरा मंडरा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और अशोक गहलोत सरकार में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पार्टी से बगावत कर दी है। वहीं राज्य में सरकार बचाने के लिए कांग्रेस सभी तरह की कोशिश कर रही है। वहीं राज्य में सीएम आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक चल रही है इस बैठक में पायलट समेत उनके समर्थक विधायक नहीं पहुंचे हैं। हालांकि अभी तक स्थिति साफ नहीं हुई है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बचेगी या फिर सत्ता से बाहर होगी। हालांकि सचिन पायलट के पिता भी कांग्रेस आलाकमान और सोनिया गांधी से कभी बगावत कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने इसके बावजूद पार्टी को अलविदा नहीं किया।

सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते थे। राजेश पायलट को गांधी परिवार का करीबी माना जाता था। उनकी निकटता पहले संजय गांधी के साथ थी और उसके बाद वह राजीव गांधी के करीबी हो गए। हालांकि कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने कांग्रेस आलाकमान से बगावत भी की थी। हालांकि उस वक्त पार्टी की कमान सोनिया गांधी के हाथ में नहीं थी। हालांकि बाद में उनकी सोनिया गांधी से अच्छे रिश्ते नहीं रहे।

 

राजेश पायलट की कई बार पार्टी आलाकमान के साथ रिश्ते तल्ख देखे गए। वह अकसर पार्टी में रहते हुए पार्टी और पार्टी नेतृत्व को सार्जवनिक तौर पर सलाह भी देते रहे।  राजेश पायलट ने अपने करियर के तौर पर भारतीय वायुसेना को चुना और पायलट बने और 13 साल उन्होंने सेना की सेवा की। इसके बाद उन्होंने सेना से इस्तीफा दिया और राजनीति को अपना कैरियर बनाया। बताया जाता है कि राजेश पायलट की राजनीति में एंट्री गांधी परिवार के जरिए ही राजनीति में हुई और पार्टी के टिकट पर उन्होंने 1980 में भरतपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीता। उनकी नजदीकियां संजय गांधी से थी और उनके निधन के बाद वह राजीव गांधी के करीबी हो गए।  

वहीं 1997 में राजेश पायलट ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी के खिलाफ अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा। हालांकि अध्यक्ष के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और सीताराम केसरी ने अपने दोनों प्रतिद्वंदी शरद पवार और राजेश पायलट को चुनाव में हराया। उस वक्त कांग्रेस में गांधी परिवार का दबदबा नहीं था। 

सोनिया के खिलाफ जाकर जितेन्द्र प्रसाद का दिया साथ

हालांकि ये भी कहा जाता है कि सोनिया के अध्यक्ष बनने के बाद राजेश पायलट के सोनिया गांधी से अच्छे ताल्लुकात नहीं रहे। लेकिन संबंध खराब होने के बावजूद उन्होंने पार्टी से बगावत नहीं की। साल 2000 में जब कांग्रेस के  बागी नेता जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा तो राजेश पायलट ने जितेंद्र प्रसाद का साथ दिया।