सपा के बागी नेता और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल सिंह यादव रविवार को अपने राजनैतिक कैरियर की सबसे बड़ी रैली करने जा रहे हैं। इस रैली के जरिये जहां शिवपाल खुद को सपा का असली 'वारिस' घोषित करेंगे, वहीं सपा की नजर भी इस रैली पर है। ये रैली प्रदेश की राजनीति में शिवपाल का कद तय करेगी। उनके समर्थन में यादव परिवार की छोटी बहू अपर्णा यादव भी कूद गई हैं। लिहाजा बंट चुके यादव परिवार में इसे शिवपाल के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है। इस बीच, शुक्रवार को अखिलेश यादव की रैली में शामिल हुए मुलायम सिंह यादव से शिवपाल नाराज बताए जा रहे हैं। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक मुलायम को साथ लेकर चलने वाले शिवपाल की रैली के पोस्टरों से मुलायम गायब हो गए हैं। 

लखनऊ के रमाबाई मैदान में रविवार यानी 9 दिसंबर को होने वाली रैली को लेकर शिवपाल का दावा है कि इसमें पांच लाख से ज्यादा लोग हिस्सा लेंगे। इस रैली में शिवपाल ने अपने नेताओं से हर विधानसभा क्षेत्र से 250 गाड़ियों के काफिले के साथ लखनऊ पहुंचने का आदेश दिया है। सपा से अलग होने के बाद शिवपाल के राजनैतिक कैरियर में यह सबसे बड़ी रैली है। 2019 के आम चुनाव से पहले इसके सियासी मायने भी हैं। यह सूबे में उनका राजनैतिक कद तय करेगी। शिवपाल का कहना है कि सपा में उनको अपमानित किया गया है, इसलिए लोहिया के आदर्शों के लिए उन्होंने पार्टी का गठन किया है। पार्टी बनाने के बाद से ही शिवपाल ने यूपी के सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करना शुरू कर दिया था और सपा के नेतृत्व से नाराज नेताओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिशें शुरू कर दी थी। सपा में रहते उनकी पार्टी संगठन में मजबूत पकड़ मानी जाती थी। सपा में जो नेता उनसे जुड़े थे, उन्होंने पार्टी छोड़कर शिवपाल का दामन थाम लिया है।

असल में दो गुटों में बंट चुके यादव परिवार में एक गुट की कमान अखिलेश यादव तो दूसरे गुट की कमान शिवपाल सिंह यादव संभाले हुए हैं। हालांकि परिवार के मुखिया मुलायम कभी अखिलेश को समर्थन देते हैं तो कभी शिवपाल से अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने को कहते हैं। मुलायम सपा के संरक्षक भी हैं। शिवपाल चाहते हैं कि मुलायम उनके साथ रहें। लेकिन मुलायम पूरी तरह से किसी के साथ नहीं हैं। अलबत्ता यादव परिवार में अब शिवपाल को मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव का साथ मिल गया है। अपर्णा ने पिछला विधानसभा चुनाव सपा के टिकट पर लखनऊ की कैंट विधानसभा से लड़ा, हालांकि अपर्णा चुनाव हार गई। ऐसा कहा जाता है कि मुलायम के दबाव में ही अखिलेश ने अपर्णा को टिकट दिया। लेकिन स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं ने अपर्णा का साथ नहीं दिया। शिवपाल के पार्टी गठन के बाद कई मौकों पर अपर्णा खुलकर उनके साथ दिखी। जिसके बाद ये कयास लगाए जाने लगे थे कि अपर्णा शिवपाल के साथ ही जाएंगी। अपर्णा मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी है। प्रतीक ने अभी अपने राजनैतिक कैरियर की शुरूआत नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान वह भी राजनीति में उतर सकते हैं। अखिलेश और साधना में छत्तीस का आंकड़ा है, जबकि शिवपाल के साथ बेहतर रिश्ते हैं।

रविवार को हो रही रैली में अपर्णा यादव के शिवपाल के साथ मंच साझा करने की उम्मीद की जा रही है। एक दिन पहले ही अपर्णा शिवपाल से उनके घर पर मिली भी थीं। अपर्णा अपने मुखर बयानों के लिए जानी जाती हैं। ऐसा माना जा रहा है कि शिवपाल इस रैली के जरिए सीधे तौर पर सपा को चुनौती देंगे। रविवार को हो रही रैली से पहले सपा ने भी फिरोजाबाद में शुक्रवार को रैली कर अपना दमखम दिखाया। इस रैली में सपा के मंच पर मुलायम सिंह यादव भी दिखे। फिरोजाबाद सपा का गढ़ माना जाता है यहां पर सपा के महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव सांसद हैं और अगले लोकसभा चुनाव में यहां पर शिवपाल अपने प्रत्याशी खड़ा करेंगे। लिहाजा चुनाव से पहले अपना किला बचाने के लिए सपा ने शिवपाल की लखनऊ रैली से पहले यहां पर रैली की। 

बहरहाल, शिवपाल की रैली पर सपा की नजर लगी है, सपा उनकी ताकत का आंकलन करना चाहती है। क्योंकि अभी तक सपा का राज्य में बसपा के साथ कोई गठबंधन नहीं हुआ है और अगर होता है तो सपा के बागियों के लिए शिवपाल की पार्टी बेहतर ऑप्शन हो सकता है। लिहाजा कल की रैली में सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज चल रहे नेता भी मंच पर दिखाई दिए जा सकते हैं। बहरहाल शिवपाल की नजर सपा के वोट बैंक पर है, जिसमें यादव और मुस्लिम शामिल है। छह दिसंबर और 25 नवंबर को विहिप की धर्मसभा को लेकर शिवपाल सपा से ज्यादा मुखर हुए थे।