प्रयागराज में दो दिन तक चली धर्म संसद में राम मंदिर निर्माण के लिए संतों ने केन्द्र की भाजपा सरकार को छह महीने का और समय दे दिया है। हालांकि संतों ने राम मंदिर के निर्माण के लिए हो रही देरी के लिए नाराजगी तो जताई लेकिन छह महीने का और समय देते हुए उम्मीद जताई कि चुनाव के बाद अगर केन्द्र में भाजपा की सरकार बनती है तो राममंदिर का निर्माण तुरंत किया जाएगा। 

संतों ने धर्म संसद में मंदिर निर्माण के लिए कोई तारीख घोषित न होने पर कुछ लोगों ने हंगामा किया। एक दिन पहले भी धर्म संसद में संतों और अन्य धार्मिक संगठनों लोगों ने राम मंदिर के निर्माण के लिए सीधे तौर पर तारीख के ऐलान पर जोर दिया। संतों का कहना था कि अब उनके सब्र टूट रहा है। अगर केन्द्र में भाजपा की सरकार रहते हुए राम मंदिर का निर्माण नहीं होता है तो फिर किस सरकार में मंदिर का निर्माण होगा। कोर्ट के फैसला का इंतजार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि पिछले सत्तर साल से राम मंदिर का मामला विभिन्न अदालतों में चला और अब सुप्रीम कोर्ट में भी तारीख पर तारीख मिल रही है।

धर्म संसद में महामंडलेश्वर अखिलेश्वरानंद ने कहा कि कोई नई घोषणा नहीं की जाएगी तो वहां पर मौजूद लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। लोगों का कहना था कि भाजपा सरकार को पहले मंदिर पर स्पष्ट तारीख बतानी चाहिए। वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राममंदिर ही एक ऐसा आंदोलन है, जिसे संघ ने अपनाया है। संघ चाहता है कि, अयोध्या में भव्य राममंदिर बने। उन्होंने कहा कि जमीन मिल जाए तो निर्माण शुरू हो जाएगा। भागवत ने कहा कि जब आंदोलन शुरू किया गया था तो उस वक्त राम मंदिर के लिए तीस साल का समय तय किया गया था और अब दो साल बचे हैं और मंदिर निर्माण एक साल में शुरू हो जाएगा।


उन्होंने कहा कि राम मंदिर उसी जगह पर पूर्व निर्धारित मॉडल और पूजित शिलाओं से संतों के मार्गदर्शन में बनेगा। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि मोदी सरकार ने गैर विवादित भूमि लौटाने के विहिप के पत्र को संजीदगी से लेते हुए 15 दिन के अंदर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी। अब हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर जल्द फैसला करे।