सावन के महीने में शिवभक्त शिवालयों में जाकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गंगा जल और दूध ने ने स्नान कराते हैं और उसके बाद विधिवत तौर पर पूजा अर्चना करते हैं। वहीं महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग की पूजन परपंरा में शनि प्रदोष का विशेष महत्व है।
नई दिल्ली। सावन का पहला सोमवार आज है और भगवान के प्रिय दिन सोमवार को ही सावन का महीन शुरू हो रहा है। ज्योतिषों के मुताबिक पिछले तीन सालों में पहली बार ऐसा संयोग बना रहा है। सावन के महीने में इस बार पांच सोमवार, दो शनि प्रदोष और हरियाली सोमवती अमावस्या पड़े रहे हैं। ज्योतिषों का दावा है कि सावन का महीना उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में शुरू हो रहा है और महीने का समापन तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर सोमवार के दिन ही होगा।
सावन के महीने में शिवभक्त शिवालयों में जाकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गंगा जल और दूध ने ने स्नान कराते हैं और उसके बाद विधिवत तौर पर पूजा अर्चना करते हैं। वहीं महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग की पूजन परपंरा में शनि प्रदोष का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान महाकाल उपवास रखते हैं। ज्योतिषों का मानना है कि इस बार सावन का महीन दुर्लभ है।
क्योंकि सावन के महीने की शुरूआत सोमवार से हो रही है और ये दिन भगवान शिव का दिन माना जाता है जबकि महीने का समापन भी सोमवार के दिन हो रहा है। इन दोनों दिनों में नक्षत्र उत्ताराषाढ़ा है। यह नक्षत्र सिद्धि हासिल करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस सावन के महीने में जो भी शिवभक्त मन से पूजा करेंगे उन्हें मानोवांछित फल की प्राप्ति होगी और उन्हें पांच गुना शुभफल मिलेगा।
वहीं सावन के महीने में 20 जुलाई को हरियाली सोमवती अमावस्या पर पुनर्वसु नक्षत्र में होगी। वहीं इस बार सोमवार के दिन पुष्य नक्षत्र का आना सोम पुष्य कहलाता है। अमावस्या की रात सोमपुष्य के साथ सर्वार्थसिद्घि योग मध्य रात्रि साधना के लिए विशेष है। जबकि इस बार रक्षाबंधन भी सोमवार के दिन पड़ रहा है और सुबह सोमवार के दिन उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा। तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र शुभफलदायी है।
Last Updated Jul 6, 2020, 7:14 AM IST