पिछले महीने 8 अप्रैल को विपक्ष की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक असेंबली क्षेत्र से 1 की जगह 5 VVPAT पर्ची के मिलान का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ एक बार फिर विपक्ष पुनर्विचार याचिका लाया कि कम से कम 25 फीसदी पर्चियों का मिलान कराया जाना चाहिए।
50 फीसदी ईवीएम की पर्चियों का वीवीपैट से मिलान को लेकर दाखिल पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान विपक्षी पार्टियों की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंधवी ने कहा कि कोर्ट से 25 फीसदी तक मिलान करने की मांग की गई लेकिन कोर्ट से उसे भी खारिज कर दिया।
मामले की सुनवाई के दौरान चंद्रबाबू नायडू, फारुख अब्दुल्ला, संजय सिंह सहित 21 पार्टियों के प्रतिनिधि कोर्ट में मौजूद थे। अब ये विपक्षी पार्टियां इस मामले को लेकर चुनाव आयोग से मिलेगी। उसके बाद जनता की अदालत में जाएगी।
कोर्ट ने 50 फीसदी ईवीएम की पर्चियों का वीवीपैट से मिलान को अव्यवहारिक माना था। कोर्ट ने कहा था कि लेकिन चुनाव प्रक्रिया की विश्वनीयता बढ़ाने के लिए कोर्ट ने प्रति विधानसभा क्षेत्र 5 ईवीएम मशीनों की पर्चियों को वीवीपैट से मिलान करने का आदेश दिया था।
जबकि पहले प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के 1 ईवीएम मशीन की पर्चियों को वीवीपैट से मिलान किया जाता है। बतादें कि 21 विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के जवाब के बाद कहा था कि लोकसभा चुनाव के नतीजे के ऐलान में 6 दिन की देरी होती है तो उन्हें स्वीकार है।
क्योंकि वीवीपैट पर्ची के 50 फीसदी ईवीएम मतगणना के साथ मिलान करने से चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित होगी। जबकि चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा था कि वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान किया जाता है तो लोकसभा चुनाव के नतीजे आने में 6 दिन की देरी होगी।
आयोग ने कहा था कि इसके लिए न सिर्फ बड़ी तादाद में सक्षम स्टाफ की जरूरत होगी बल्कि बड़े मतगणना हॉल की भी आवश्यकता होगी। विपक्षी दलों का कहना था कि फ्री एंड फेयर चुनाव के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि ईवीएम और वीवीपीएटी की विश्वसनीयता पर पहले ही सवाल है, लिहाजा फ्री व फेयर चुनाव केलिए कम से कम 50 फीसदी ईवीएम और वीवीपीएटी का औचक निरीक्षण होना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित करने से पहले यह औचक निरीक्षण होना चाहिए।
याचिकाकर्ता नेताओं का कहना था कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए निष्पक्ष चुनाव होना चाहिए और इसके लिए पुख्ता इंतजाम होना चाहिए। याचिका दायर करने वालों में शरद पवार, केसी वेणुगोपाल, डेरेक ओब्र्र्रान, शरद यादव, अखिलेश यादव, सतीश चंद्र मिश्रा, एम के स्टालिन, टीके रंगराजन, मनोज कुमार झा, फारुख अब्दुल्ला, एए रेड्डी, कुमार दानिश अली, अजीत सिंह, मोहम्मद बदरुद्दीन अजमल, जीतनराम मांझी, प्रोफेसर अशोक कुमार मिश्रा, अरविंद केजरीवाल आदि शामिल है।
मालूम हो कि गत जनवरी में तमिलनाडु निवासी एमजी देवश्याम सहित दो अन्य लोगों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर लोकसभा चुनाव से ईवीएम के जरिये होने वाले मतदान के कम से कम 30 फीसदी वोटों का मिलान वोटर वीवीपीएटी से करने की गुहार की गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा था।
Last Updated May 7, 2019, 11:59 AM IST