सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा राहत देते हुए उन्हें फिर से सीबीआई के निदेशक के पद का चार्ज देने का दिया है. हालांकि आलोक वर्मा के अधिकार सीमित रहेंगे, जब तक उनके खिलाफ जांच पूरी नहीं हो जाती है तो वह बड़े नीतिगत मालमों में फैसला नहीं ले सकेंगे. इसे वर्मा के लिए झटका माना जा रहा है.

सीबीआई vs सीबीआई के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. इस मामले में पूरे देश की निगाह लगी हुई थी. लिहाजा तीन जजों की बेंच ने वर्मा के पक्ष में फैसला सुनाया. जबकि आज मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई छुट्टी थे. लिहाजा बेंच के दोनों जजों ने उनके फैसले को सुनाया. कोर्ट ने कहा है कि आलोक कुमार वर्मा को पद से नहीं हटाया जाना चाहिए था. लिहाजा वर्मा सीबीआई के निदेशक बने रहेंगे. हालांकि इसके साथ ही ये भी फैसला सुनाया कि वर्मा जांच पूरी होने तक कोई नीतिगत फैसला नहीं ले सकते हैं.

उधर सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी के फैसले को पलट दिया है. कोर्ट ने कहा कि  आलोक वर्मा को हटाने से पहले सिलेक्ट कमिटी से सहमति लेनी चाहिए थी. जिस तरह सीवीसी ने आलोक वर्मा को हटाया, वह असंवैधानिक है. लिहाजा कोर्ट का ये फैसला केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. कोर्ट ने सीबीआई के अफसरों के बीच जारी विवाद में केंद्र सरकार को बड़ा झटका देते हुए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के सीवीसी के फैसले को पलट दिया है.

इस तरह से वर्मा अब सीबीआई निदेशक का वह कार्यभार संभालेंगे. लेकिन हालांकि वह बड़े नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे. कोर्ट के इस फैसले के बाद अलोक वर्मा के वकील ने संस्था की जीत है, देश में न्याय की प्रक्रिया अच्छी चल रही है. उधर केंद्र सरकार ने वर्मा और अस्थाना के बीच विवाद के बाद दोनों को हटाते हुए संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को अंतरिम मुखिया बना दिया था.