पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस की सरकार बनते ही पाठ्यक्रमों में बदलाव की शुरूआत हो गयी थी। राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने पिछली बीजेपी सरकार के दौरान बदले गए पाठ्यक्रमों में बदलाव करना का आदेश दिया। गहलोत सरकार ने बीजेपी सरकार के दौरान महाराणा प्रताप को महान बताने वाले विषय में बदलाव का फैसला करते हुए अकबर को फिर से महान पढ़ाने का फैसला किया। लोकसभा चुनाव के दौरान ये चुनावी मुद्दा भी बना, लेकिन अब राज्य सरकार ने दोनों को महान पढ़ाने का आदेश दिया।
राजस्थान में सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में बदलाव का मुद्दा एक बार फिर छाया हुआ है। दिलचस्प ये है कि राज्य में राजनैतिक दलों के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव बड़ा वोट बैंक बन गया है। जिस भी पार्टी की सरकार आती है, वह उसी आधार पर इसे बदलती है। पिछले बीस सालों में विभिन्न दलों की आयी सरकारों ने राज्य के सरकारी स्कूलों में पांच बार स्कूली पाठ्यक्रमों को बदला है। इसमें तीन बार कांग्रेस और दो बार बीजेपी सरकार ने पाठ्यक्रम में बदलाव किया है।
असल में पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस की सरकार बनते ही पाठ्यक्रमों में बदलाव की शुरूआत हो गयी थी। राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने पिछली बीजेपी सरकार के दौरान बदले गए पाठ्यक्रमों में बदलाव करना का आदेश दिया। गहलोत सरकार ने बीजेपी सरकार के दौरान महाराणा प्रताप को महान बताने वाले विषय में बदलाव का फैसला करते हुए अकबर को फिर से महान पढ़ाने का फैसला किया।
लोकसभा चुनाव के दौरान ये चुनावी मुद्दा भी बना, लेकिन अब राज्य सरकार ने दोनों को महान पढ़ाने का आदेश दिया। पिछली बार बीजेपी सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रमों में वीर सावरकर का विषय भी शामिल किया था। इस सिलेबस में सावरकर को देश भक्त बताया गया। लेकिन अब कांग्रेस सरकार सावरकर को ब्रिटिश सरकार से माफी मांगने वाले नेता के तौर पर बताएगी। जानकारी के मुताबिक नई सरकार के आने के बाद पिछली सरकार के दौरान तैयार किए पाठ्यक्रम की 30 लाख पुस्तकें रद्दी में चली गयी थी।
जानें कब कब बदला पाठ्यक्रम
-राज्य में 1998 से 2003 के बीच कांग्रेस सरकार ने पूर्व की बीजेपी सरकार द्वारा पढ़ाए गए पाठ्यक्रम को बदल दिया। उस वक्त तत्कालीन शिक्षा मंत्री का फोटो स्कूली पाठ्यक्रम में भी छपा था।
-भाजपा शासन के 2003 से 2008 के शासन के दौरान कांग्रेस द्वारा शामिल किए गए विषयों को बदला। बीजेपी ने पाठ्यक्रम में दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ भारतीय संस्कृति के विषयों को भी जोड़ा था।
-इसके बाद 2008 से 2013 तक फिर कांग्रेस सरकार बनने के बाद दीनदयाल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ ही संस्कृत की किताब से संघे शक्ति कलयुगे को हटा दिया।
-राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद बनी भाजपा सरकार ने अकबर महान की जगह महाराणा प्रताप महान जोड़ा। जबकि नेहरू से जुड़े चैप्टर को भी कम कर दिया था।
-वर्तमान कांग्रेस सरकार ने बीजेपी सरकार के दौरान बदले गए ज्यादातर पाठ्यक्रमों को समाप्त कर दिया।
Last Updated May 16, 2019, 2:26 PM IST