भारत का दो तिहाई हिस्सा भीषण गर्मी की चपेट में है। कई शहरों में पारा 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। इनमें दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, हैदराबाद और चंडीगढ़ शामिल हैं। यहां तक ​​कि पुणे, जिसे एक हिल स्टेशन के रूप में माना जाता था, 27 मई को तापमान 43 डिग्री तक बढ़ गया। यही हाल दक्षिण भारत का भी है, दक्षिण में तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना मे भी तापमान 44 डिग्री के पर पहुँच गया है।

जानकारों के मुताबिक तापमान का सबसे बुरा असर महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र पर पड़ा  है। एक वेबसाइट के सर्वे के मुताबिक अप्रैल महीने में दुनिया के सबसे गरम शहरों में 15 शहर मध्य भारत से थे, जिनमें नौ शहर महाराष्ट्र से थे। अप्रैल के महीने में महारष्ट्र के चंद्रपुर में दुनिया में सबसे ज़्यादा तापमान 48 डिग्री दर्ज किया गया, इसके बाद नागपुर में 47.5 डिग्री, और ब्रह्मपुरी में मई के अंत में तापमान 47.8 डिग्री था।

राजस्थान में गर्मी का सबसे ज़्यादा असर सामान्य जनजीवन पर पड़ रहा है, जहां बीकानेर में तापमान 45.6 डिग्री सेल्सियस सबसे अधिक दर्ज किया गया है। राज्य के अन्य क्षेत्र जैसे गंगानगर, जैसलमेर और कोटा सहित कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री से ऊपर पहुंच गया है।

भारत के आधे से ज्यादा हिस्सों में लूह का प्रकोप जारी है। पुणे में भी 50 वर्षों में सबसे अधिक तापमान देखा गया। आईएमडी को उम्मीद है कि जून के महीने में तापमान में और वृद्धि होगी। आईएमडी के 103 मौसम स्टेशनों का डेटा ये बताता है कि 1961 से  2018 के बीच तापमान में जबरदस्त वृद्धि हुई है।

शिमला, मसूरी, दार्जिलिंग और मनाली जैसे प्रसिद्ध हिल स्टेशनों पर भी  बढ़ते हुए तापमान का असर महसूस हो रहा है जहां आईएमडी आंकड़ों के अनुसार गर्मी के महीनों में तापमान में पांच डिग्री से अधिक की वृद्धि हुई है। इस वर्ष मसूरी में तापमान 38 डिग्री को पार कर चुका है।

हिल स्टेशनों के निवासियों ने तापमान बढ़ने के लिए अनियमित निर्माण गतिविधियों और बढ़ते वनों की कटाई को जिम्मेदार ठहराया है। सेवानिवृत्त हुए अस्सी वर्षीय डीएन खन्ना ने बढ़ती गर्मी के लिए कालका और शिमला के बीच बन रही चार लेन सड़क के लिए बड़े पैमाने पर कटे जा रहे पेड़ो पर चिंता जताते हुए कहा की "हमने विकास के नाम पर हजारों पेड़ खो दिए हैं। इससे पहले, शिमला और कालका के बीच का रास्ता बहुत ही हरा भरा था, वहाँ बहुत सारे ताजे पानी के झरने थे जो सभी सूख गए हैं। हिमाचल प्रदेश दिल्ली की पानी की आपूर्ति करता है, लेकिन स्थानियों लोगो को खुद ही पानी अब हर पांचवें दिन मिल रहा है। हमारे पास इस गर्मी में पीड़ित होने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। "

पुणे में एक एनजीओ चलाने वाले डॉक्टर का कहना है कि "तीन दिन पहले, तापमान 43 डिग्री को पार कर गया और आईएमडी ने अपनी सुचना में बताया कि यह पिछले 50 वर्षों में शहर का सबसे गर्म दिन था।"

1992 से अब तक तेज़ गर्मी कि चपेट में आकर  22,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। इनमें से ज्यादातर मौतें हीट स्ट्रोक और अत्यधिक निर्जलीकरण के कारण हुई हैं। डॉक्टरों के मुताबिक तेज़ गर्मी के के कारन शरीर का तापमान भी काफी बढ़ जाता है और एक स्तर के बाद यह किसी भी व्यक्ति के मस्तिष्क की कोशिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। जिससे हीट स्ट्रोक या सनस्ट्रोक भी कहते हैं  कहते हैं।

यह हीट स्ट्रोक के आंकड़े चिंताजनक हैं। 1 मार्च 2019 से अब तक केरल राज्य में सनस्ट्रोक के 288 मामले दर्ज होने के बाद राज्य को अलर्ट पर रखा गया है। पलक्कड़ के उत्तरी जिले में हीट स्ट्रोक के कारण चार मौतें हो चुकी हैं। बेंगलुरु, जहां गर्मियों का तापमान शायद ही कभी 26 डिग्री के पार गया हो, अभी कि स्तिथि यह हैं कि मध्य कर्नाटक में तापमान लगभग 40 डिग्री पहुँच गया है। 

मुंबई में 25 मार्च 2019 को 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान देखा गया जो शहर के लिए सामान्य से सात डिग्री अधिक था।