आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का दो राज्यों में चुनाव गठबंधन उसके दो नेताओं के कारण अभी नहीं हो सका है। कर्नाटक में कांग्रेस का जद(एस) और बंगाल में माकपा के साथ चुनावी गठबंधन इसलिए नहीं हो सका है कि मौजूदा सांसद यहीं से टिकट चाह रहे थे।

असल में कर्नाटक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली और पश्चिम बंगाल में माकपा के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सलीम की सीट की वजह से कांग्रेस का इस दलों के साथ चुनावी गठबंधन नहीं हो सका है। हालांकि कांग्रेस का मानना है कि जल्द ही इस पर सहमति बन जाएगी। कांग्रेस कर्नाटक में मौजूदा सांसद मोइली की सीट को जद(एस) को नहीं देना चाहता है। कर्नाटक में कांग्रेस सांसद मोइली (चिक्कबलपुर) की सीट मांग रहा है तो कांग्रेस पश्चिम बंगाल में माकपा सांसद सलीम (रायगंज) की सीट चाह रही है। लिहाजा एक सीट पर कांग्रे और दूसरी सीट पर माकपा का पेंच फसा हुआ है। बुधवार को ही कर्नाटक की सीटों के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की एचडी देवगौड़ा के साथ बातचीत हुई।

कर्नाटक में जद(एस) 12 सीटें मांग रहा है। जबकि कांग्रेस महज आठ सीटें देने क पक्ष में है। हालांकि ये बातचीत बेनतीजा रही, लेकिन कांग्रेस ने अपने राज्य प्रभारी वेणुगोपाल और जद (एस) अपने महासचिव दानिश अली को नियुक्त किया है। ताकि सीटों पर सहमति बन सके। जद (एस) दो ऐसी सीटें मांग रहा है जिन पर कांग्रेस के सांसद हैं। उधर कर्नाटक में कांग्रेस के कई विधायक भी चुनाव लड़ना चाहते हैं। राज्यसभा सांसद बीके हरिप्रसाद भी राज्य की राजधानी से टिकट मांग रहे हैं। लिहाजा कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी दिक्कत आ रही है। वहीं जहां तक पश्चिम बंगाल की बात है वहां पर कांग्रेस के प्रादेशिक नेता माकपा की दो ऐसी सीटें (मुर्शिदाबाद ) चाह रहे हैं, जिन्हें वो सांसद होने से कतई छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।

इसको लेकर माकपा ने गठबंधन से भी पैर पीछे खींचने के संकेत दिए हैं। इस पेंच को सुलझाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार माकपा महासचिव सीताराम येचुरी के संपर्क में हैं। पश्चिम बंगाल के मामले में वरिष्ठ नेता अहमद पटेल की भी सेवाएं ली जा रही हैं। फिलहाल कांग्रेस नेतृत्व की पहली पसंद माकपा है। समझा जा रहा है कि प्रादेशिक नेताओं विशेषकर दीपादास मुंशी को माकपा की सीटें छोड़ने के लिए कहा जाएगा।