बिहार में यूपीए महागठबंधन में सीटों का विभाजन अभी नहीं हो पाया है। लेकिन सहयोगी दलों में राजद नेता के बयान के कारण हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि अभी तक महागठबंधन के दलों के बीच आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। हालांकि कांग्रेस और राजद का कहना है कि खरमास के बाद सीटों पर स्थिति साफ होगी।

पिछले महीने ही कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए के सहयोगी दलों की दिल्ली में बैठक हुई थी और उसके बाद रालोसपा के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने यूपीए से नाता जोड़ने का ऐलान किया था। उस वक्त इन दलों के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हुआ था। हालांकि कुशवाहा छह से ज्यादा सीटें मांग रहे हैं। लेकिन जब वह एनडीए में थे तो वह चार सीटें मांग रहे थे जबकि भाजपा उन्हें दो सीटें देने के लिए तैयार थी। पिछले महीने तेजस्वी यादव, उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी ने आरजेडी प्रमुख लालू यादव से मुलाकात की थी। इसके बाद ये माना जा रहा है कि सीटों के बंटवारे का ऐलान खरमास के बाद किया जाएगा।

इसी बीच राजद नेता रघुवंश प्रसाद ने एक बड़ा बयान देकर सहयोगी दलों के बीच हड़कम मचा दी है। रघुवंश प्रसाद ने कहा कि सभी छोटे दलों के बड़े दलों के चुनाव निशान पर लड़ना चाहिए। ताकि समर्थकों में किसी तरह का मतभेद हो। उन्होंने कहा कि एक ही सिंबल पर लड़कर भाजपा को आसानी से मात दी जा सकती है। हालांकि उनकी इस सलाह पर ज्यादातर छोटे दल सहमत नहीं हैं और अपने अस्तित्व के लिए वह अपने ही सिंबल पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसे राजद की तरफ से एक तरह से दबाव की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है। क्योंकि वह अपनी पार्टी की अधिक से अधिक भागीदारी चाहते हैं।

उधर अभी महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर कोई सहमति नहीं बनी है। राजद राज्य में बीस सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रहा है और जबकि कांग्रेस 12 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है। ऐसे में छोटे सहयोगी दलों को कम सीटें मिलेंगी। उपेन्द्र कुशवाहा जहां छह सीटों पर दावा कर रहे हैं तो मुकेश साहनी भी दो सीटों पर लड़ने की बात कर रहे हैं। जबकि जीतनराम मांझी भी 6 सीटों का दावा कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस और राजद कोई भी अपने कोटे की सीट नहीं छोड़ना चाहते हैं। अगर महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर कोई सहमति नहीं बनती है तो छोटे दलों की नाराजगी कांग्रेस और राजद के लिए नुकसान पहुंचा सकती है।