जम्मू-कश्मीर में पिछले वर्ष की तुलना में इस साल निहत्थे सुरक्षाकर्मियों और आम नागरिकों पर आतंकियों के हमले बढ़ गए हैं। माना जा रहा है कि सुरक्षा बलों की ओर से की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई से आतंकी हताश हैं। यही वजह है कि वे आसान टॉरगेट को निशाना बना रहे हैं।
 
सरकार के सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया कि अक्टूबर के महीने में आतंकवाद रोधी अभियानों में मिली सफलता के बाद सुरक्षा एजेंसियां इस तरह की घटनाएं बढ़ने का अंदेशा पहले से ही जता रही थीं। 

सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर 'माय नेशन' से कहा कि आतंकवाद रोधी अभियानों को तेज करने से पहले हमने कश्मीर घाटी में तैनात सभी सुरक्षा बलों के प्रमुखों के साथ बैठक की थी। सभी का मानना था कि आतंकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने से आम नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों पर हमले की घटनाएं भी बढ़ जाएंगी। 

एडीजी कानून-व्यवस्था मुनीर खान ने श्रीनगर में मीडिया से कहा कि आराम से मिल रही गुप्त सूचनाओं के चलते आतंकियों के खिलाफ चल रहे अभियान में लगातार सफलता मिल रही है। यह दर्शाता है कि आम कश्मीरी आतंकवाद के खात्मे के लिए सुरक्षा बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। मुनीर खान ने निहत्थे लोगों पर हमलों को आतंकियों की हताशा करार दिया है। 

एडीजी कानून-व्यवस्था के बयान के बाद घाटी में हिंसा की तीन घटनाएं हुई हैं। आतंकियों ने शनिवार को कुलगाम के उस घर के मालिक का अपहरण कर लिया, जिसके घर में सुरक्षा बलों ने तीन आतंकियों को ढेर कर दिया था। पुलिस सूत्रों ने 'माय नेशन' से कहा कि आतंकियों के ओवर ग्राउंड वर्कर उसे सुरक्षा बलों का मुखबिर बता रहे थे, जिसके बाद उसका अपहरण कर लिया गया। 

एक अन्य घटना में सब इंस्पेक्टर इम्तियाज अहमद मीर की हत्या कर दी गई। वह जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी विंग में तैनात थे। वह पुलवामा में अपनी गाड़ी से कहीं जा रहे थे, तभी आतंकियों ने पहले उनका अपहरण किया और फिर गोली मार दी। पुलिस ने इम्तियाज की अपहरण के बाद हत्या की पुष्टि की है। 

रविवार शाम आतंकियों ने श्रीनगर के हैदरपोरा के गंगबाग में रहने वाले पीडीपी के जिला अध्यक्ष मोहम्मद अमीन डार की हत्या कर दी। अमीन पूर्व सरकार में वित्त मंत्री अल्ताफ बुखारी का करीबी था। वह निकाय चुनावों का समर्थन कर रहा था। 

वर्ष 2018 में सुरक्षा बलों ने अब तक 201 आतंकियों को मार गिराया है। यह आतंकवाद की राह पर जाने वाले युवाओं की संख्या से ज्यादा है। इस साल अभी तक राज्य के 164 युवाओं ने आतंकवाद का दामन थामा है। सुरक्षा बलों ने टॉप कमांडरों की जगह अपना ध्यान कश्मीर में आतंकियों की भर्ती करने वालों पर केंद्रित कर दिया है। दरअसल, सुरक्षा बलों की ओर से ताबड़तोड़ चलाए जा रहे ऑपरेशन के बाद टॉप आतंकी कमांडर मारे जाने के डर से भूमिगत हो गए हैं।