आगामी चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सुनवाई होनी है। इस मामले में अहम पक्षकार शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। बोर्ड ने इस मामले के लिए कानूनी राय जाने के लिए सदस्यों और वकीलों की अहम बैठक बुलाई है। 

बोर्ड अयोध्या मामले में अहम पक्षकार है और वह पहले ही कह चुका है कि वह अयोध्या में मस्जिद बनाने के बजाए मंदिर बनाया जाना चाहिए और मस्जिद का निर्माण लखनऊ में किया जाना चाहिए। असल में अयोध्या विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट चार जनवरी को सुनवाई करेगा। इसके पहले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने मामले पर कानूनी राय लेने के लिए मंगलवार को बोर्ड के वकीलों और सदस्यों की बैठक बुलाई है। बोर्ड का दावा है कि इस मामले में वक्फ बोर्ड अहम पक्षकार है। लिहाजा कोर्ट में शिया वक्फ बोर्ड के पक्ष पर कानूनी विमर्श करने के लिए बैठक की जा रही है। वसीम रिजवी पिछले काफी समय से इस विवाद को समझौते से हल करने की पहल कर रहे हैं।  

वह कई बार मंदिर पक्षकारों की तरफ अपना नर्म रुख दिखा चुके हैं। वह कह चुके हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए और लखनऊ में मस्जिद बननी चाहिए। ऐसे में मंगलवार को बुलाई गई बैठक के काफी अहम होने की उम्मीद जताई जा रही है।  बोर्ड का स्टैंड साफ है और वह पहले ही कह चुका है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद नहीं बनेगी। अयोध्या में मस्जिद के बजाए लखनऊ के हुसैनाबाद में मस्जिद-ए-अमन तामीर किए जाने का प्रस्ताव को बोर्ड अपनी मंजूरी देकर सरकार को  प्रस्ताव भेज चुका है।  इसके लिए घंटाघर के समाने एक एकड़ नजूल की जमीन तलाश ली गई है। सरकार को मस्जिद बनवाने का पूरा मसौदा भी भेज दिया गया है। फिलहाल चार जनवरी को बोर्ड बाबरी ढांचा स्थित जमीन पर अपने मालिकाना हक पर पक्ष रखेगा।