नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साफ किया है कि वह सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली यूपीए का हिस्सा नहीं हैं। ये कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। क्योंकि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी शिवसेना की अगुवाई वाली शिवसेना सरकार में सहयोगी है।

हालांकि इससे पहले ठाकरे ने साफ किया था कि वह अपने हिंदुत्व के एजेंडे को नहीं छोड़ेगी और न ही अपनी विचारधार में किसी तरह का बदलाव करेगी। इसके दो दिन के बाद ठाकरे ने ये बयान दिया है, जो महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में सहयोगी कांग्रेस के लिए झटका है। क्योंकि कांग्रेस ये मान रही थी कि शिवसेना उसकी अगुवाई वाले यूपीए का हिस्सा बनेगी। दो दिन पहले विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध जताया था।

लेकिन सोनिया की अगुवाई में मिले दलों में शिवसेना नहीं थी। शिवसेना पिछले कुछ दिनों सहयोगी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। सावरकर पर राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान के बाद शिवसेना ने राहुल गांधी की परोक्ष तौर पर आलोचना की थी। शिवसेना ने कहा कि देश की आजादी में गांधी और नेहरू की तरह सावरकर ने भी हिस्सा लिया और उनके योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया था जबकि वह महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ सरकार चला रही है।

हालांकि कांग्रेस के दबाव के चलते वह राज्यसभा में केन्द्र सरकार का समर्थन नहीं कर सकी। हालांकि सदन से वॉकआउट कर उसने एक तरह से सरकार को मदद पहुंचाई। शिवसेना ने कहा कि सावरकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहता था। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी शिवसेना के साथ सरकार चला रही है। शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाई है। लेकिन इस बीच कांग्रेस और शिवसेना के बीच रिश्ते तल्ख होने शुरू हो गए हैं।