मुंबई। महाराष्ट्र में भाजपा द्वारा सरकार बनाने पर असमर्थता जाहिर करने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को दूसरे बड़े दल होने के नाते आमंत्रित किया है। शिवसेना को कल तक का समय दिया है। जिसमें उसे सरकार बनानी है। लिहाजा अब राज्य में शिवसेना सरकार बनाने की कठिन राह पर चल दी है। शिवसेना के नेता एनसीपी के संपर्क में हैं। वहीं कांग्रेस अभी सरकार में शामिल होने को लेकर असमंजस की स्थिति में है।

हालांकि एनसीपी ने साफ कर दिया है कि शिवसेना को सशर्त समर्थन दिया जाएगा। इसके लिए सरकार बनाने के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया जाएगा। जिसके तहत राज्य में सरकार चलेगी। हालांकि कांग्रेस को रूख को लेकर साफ नहीं है। क्योंकि के नेता एक तरफ कह रहे हैं कि वह विपक्ष में बैठेगी लेकिन वहीं कुछ नेता सरकार में शामिल होने का दावा कर रही है। लेकिन एनसीपी ने साफ किया है कि एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने से पहले शिवसेना को भाजपा के साथ अपने गठबंधन को खत्म करने का ऐलान करना पड़ेगा। जिसके तहत केन्द्र सरकार में शिवसेना कोटे के मंत्री को इस्तीफा देना पड़ेगा। वहीं राज्य में भी दोनों दलों के बीच गठबंधन टूट जाएगा। 

आज राज्यपाल ने चुनाव परिणाम के बाद दूसरे बड़े दल शिवसेना को सरकार बनाने को कहा है। जिसके लिए राज्य में जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। राज्यपाल नेशिवसेना को कल शाम 7.30 बजे तक का वक्त दिया गया है। गौरतलब है कि राज्य में विधानसभा का कार्यकाल शनिवार को समाप्त हो गया है। वहीं इसी बीच शिवसेना नेता संजय राउत मीडिया से कहा कि राज्य में शिवसेना अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। हालांकि पिछले कुछ दिनों में शिवसेना के कांग्रेस और एनसीपी के प्रति बोल बदल गए हैं।

कल ही शिवसेना नेता राउत ने कहा कि कांग्रेस शिवसेना की दुश्मन नहीं है। लिहाजा इससे साफ है कि शिवसेना अपने विचारों को छोड़कर सत्ता के लिए कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाएगी। यही नहीं चुनाव के दौरान कई कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं ने शिवसेना का दामन था। इसके साथ ही चुनाव के दौरान दोनों दलों ने एक दूसरे को कठघरे में खड़ा किया है। उधर राज्य में कांग्रेस के सरकार में शामिल होने पर नेतृत्व से नाराज चल रहे संजय निरूपम ने कहा कि ये पार्टी के लिए घातक कम होगा।

लेकिन अब ये तय हो गया है कि राज्य में शिवसेना एनसीपी की मदद से सरकार बना सकती है। गौरतलब है कि राज्य की 288 सीटों में से 105 सीटें भाजपा ने जीती थी। जबकि सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत है। भाजपा के साथ गठबंधन में शिवसेना ने 56 सीटें जीती थीं। जबकि कांग्रेस और एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की।