योगी सरकार का मानना है कि पूर्व की सपा सरकार में अफसरों की मेहरबानी और नियमों को ताक पर रखकर जमीन दी गई थी। इन किसानों ने आरोप लगाया था कि प्रशासन और पुलिस ने दबाव डालकर जमीन की रजिस्ट्री जौहर विश्वविद्यालय के नाम करवाई थी। इस मामले में तत्कालीन सीओ सीट के खिलाफ भी किसानों ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
लखनऊ। रामपुर से समाजवादी पार्टी सांसद और उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री आजम खान को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। पिछले एक साल से योगी सरकार के निशाने पर आए आजम से योगी सरकार ने उनके निजी जौहर ट्रस्ट से दलित किसानों की 104 बीघा जमीन को वापस ले लिया है। क्योंकि इस जमीन को नियमों में ताक पर रखकर लिया गया था। हालांकि राज्य में योगी सरकार के आते ही आजम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई थी।
योगी सरकार का मानना है कि पूर्व की सपा सरकार में अफसरों की मेहरबानी और नियमों को ताक पर रखकर जमीन दी गई थी। इन किसानों ने आरोप लगाया था कि प्रशासन और पुलिस ने दबाव डालकर जमीन की रजिस्ट्री जौहर विश्वविद्यालय के नाम करवाई थी। इस मामले में तत्कालीन सीओ सीट के खिलाफ भी किसानों ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अब जिला प्रशासन ने 104 बीघा जमीन को अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया है।
फिलहाल इस मामले में आजम खान को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। इस मामले में करीब 2 साल पहले रामपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने रेवेन्यू काउंसिल प्रयागराज में मुकद्दमा दायर किया था। जिलाधिकारी का आरोप था कि आजम खान ने दलितों की जमीन को बगैर अनुमति के विश्वविद्यालय के नाम दर्ज कराया था। जिसके बाद अब आजम से ये जमीन वापस ले ली गई है। हालांकि आजम खान के खिलाफ अभी भी रामपुर में करीब सात दर्जन मुकदमें विभिन्न मामलों में दर्ज हैं।
जिसके बाद पिछले दिनों उन्होंने रामपुर आना ही बंद कर दिया था। क्योंकि कई मामलों में जिला पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती थी। हालांकि आजम खान और समाजवादी ने जिला प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए पिछले साल नवंबर में रामपुर में आजम के पक्ष में रैली निकालने की कोशिश की थी। जिसे जिला प्रशासन ने सफल नहीं दिया।
Last Updated Jan 23, 2020, 4:28 PM IST