मुंबई। महाराष्ट्र में महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।  एक तरफ जहां राज्य सरकार कोरोना को लेकर मुसीबत में फंसी हुई है। वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार में सहयोगी रोजाना सरकार की मुसीबतों को इजाफा कर रही है। हालात ये हैं कि आम तौर घरों में होने वाले सास बहू साजिश महाराष्ट्र सरकार में भी देखी जा रही है। वहीं सरकार में सहयोगियों को शिकायतों को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फिर दरबार लगाने का फैसला किया है। ताकि सहयोगी दलों की शिकायतों को दूर किया जा सके।

पिछले दिनों ही कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी साफ कह चुके हैं कि राज्य में कांग्रेस निर्णायक भूमिका में नहीं बल्कि वह सिर्फ सरकार को सहयोगी कर रही है।  जिसके बाद राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार को कई बार सफाई देनी पड़ी। यही नहीं पिछले सात महीने में सरकार कई बार सहयोगी दलों के बयानों से असहज हो चुकी है। राज्य में चर्चाएं ही कि उद्धव ठाकरे सरकार चलाने में विफल साबित हुए हैं। अब राहुल गांधी के बाद राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा है कि सरकार के फैसलों में कांग्रेस की कोई भूमिका नहीं है।

 जिसके बाद सरकार में तनाव के संकेत साफ नजर आ रहे हैं। असल में कांग्रेस और एनसीपी राज्य सरकार को इसलिए दोष दे रहे हैं कि राज्य में सरकार अभी कोरोना संकट से निपटने में विफल साबित हुई है। लिहाजा सरकार में सहयोगी दलों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से अगले हफ्ते फिर कांग्रेस और सहयोगी दलों के साथ मुलाकात कर सकते हैं। असल में राज्य में शिवसेना की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले शरद पवार को शिवसेना ज्यादा तवज्जो दे रही है। वहीं शरद पवार कोरोना संकट और चक्रवात ‘निसर्ग’ से प्रभावित लोगों को राहत देने को लेकर राज्य सरकार से चर्चा कर रहे हैं। वहीं इस मुद्दे पर कांग्रेस को शामिल नहीं किया गया है। जिसके बाद कांग्रेस को लग रहा है कि उस अगल थलग कर दिया गया है।

बार बार नाराजगी दिखा रही है कांग्रेस

शिवसेना सरकार में शामिल होने के बावजूद कांग्रेस बार बार सरकार के खिलाफ नाराजगी जता रही है।  मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि कई मुद्दों को लेकर पार्टी के अंदर नाराजगी है। क्योंकि कई मुद्दों को लेकर पार्टी मुख्यमंत्री के साथ चर्चा करना चाहती। लेकिन उन्हें सम्मान नहीं मिल रहा है। राज्य में तीन दलों की सरकार और सत्ता और जिम्मेदारियों में बराबर साझेदारी होनी चाहिए।