सबरीमला विवाद पर केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। वह मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रही थीं।
स्मृति ईरानी का कहना था, कि उन्हें उन्हें मंदिर में पूजा करने का अधिकार है लेकिन अपवित्र करने का नहीं।
उन्होंने कहा, 'मैं मौजूदा केंद्रीय मंत्री हूं इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी नहीं कर सकती हूं लेकिन क्या आप माहवारी के खून से सने सैनिटरी नैपकिन को लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगी? तो आप भगवान के घर पर उसे लेकर क्यों जाना चाहती हैं।' हालांकि उन्होंने साफ किया कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है।
#WATCH Union Minister Smriti Irani says," I have right to pray,but no right to desecrate. I am nobody to speak on SC verdict as I'm a serving cabinet minster. Would you take sanitary napkins seeped in menstrual blood into a friend's home? No.Why take them into house of God?" pic.twitter.com/Fj1um4HGFk
— ANI (@ANI) October 23, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने रजस्वला आयु वर्ग (10 से 50) की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी। आदेश के बावजूद इस बार किसी रजस्वला आयु वर्ग (10 से 50) की महिला को प्रवेश नहीं मिल सका।
केरल के सबरीमाला मंदिर के पट पांच दिन की मासिक पूजा के बाद सोमवार को बंद हो गए हैं।
परंपरा के मुताबिक भगवान अयप्पा ने खुद यह तय किया था कि उनके दर्शन के लिए कौन आ सकता है और कौन नहीं। भगवान के मंदिर में हर साल लाखों पुरुष पहाड़ चढ़कर, नंगे पैर जाते हैं। वे 41 दिन का व्रत करते हैं जिस दौरान स्मोकिंग, शराब, नॉन-वेज, सेक्स और उन महिलाओं से दूर रहते हैं जिनके पीरियड्स चल रहे होते हैं। इसके बाद वह दर्शन के लिए निकलते हैं।
मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत मिलने के बाद से ही घमासान मचा हुआ है। कोर्ट के फैसले के बावजूद यहां मंदिर खुलने के बाद से तनाव की स्थिति बनी रही और इस उम्र की महिलाओं को एंट्री नहीं मिल पाई। प्रदर्शनकारियों ने दर्शन के लिए पहुंचने वाली महिलाओं को लौटने पर मजबूर कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार की याचिका दी गई है। इस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इन याचिकाओं पर 13 नवंबर को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस. के. कौल की पीठ ने वकील मैथ्यूज जे नेदुम्पारा से कहा कि उसने याचिकाओं को 13 नवंबर को सूचीबद्ध करने के संबंध में पहले ही आदेश पारित कर दिया है।
Last Updated Oct 23, 2018, 9:07 PM IST