लखनऊ। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनकी बेटी और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली के दौरे पर थी। इस दौरान सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने अमेठी में पिछले दिनों सड़क हादसे में मारे गए छह लोगों के परिजनों से भी मुलाकात की। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि कांग्रेस के गढ़ अमेठी में सोनिया वहां की जनता के दूरी रही। क्योंकि लोकसभा चुनाव में बेटे की हार की टीस सोनिया के दिल और दिमाग दोनों में थे। लिहाजा वह महज परिवार से मिलकर वहां से वापस दिल्ली लौंट आई।

अमेठी को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था। देश में कांग्रेस की स्थिति कुछ भी रही हो, लेकिन अमेठी की जनता ने हमेशा ही कांग्रेस का साथ दिया। वह भले ही सत्ता में रही या फिर विपक्ष में। लेकिन पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के इस गढ़ में सेंध लगाई। भाजपा ने कांग्रेस को इस गढ़ को ही गांधी परिवार से नही छिना बल्कि कांग्रेस के दिग्गज कहे जाने वाले संजय सिंह को भी भाजपा में शामिल करा लिया। जो सोनिया गांधी और गांधी परिवार के लिए बड़ा झटका था।

राहुल गांधी का अमेठी से हारने का अर्थ कांग्रेस अच्छी तरह से जानती है। लिहाजा अमेठी के दौरे पर सोनिया ने लोगों से दूरी बनाकर रखी। यहां तक कि सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी कांग्रेस के उन नेताओं से भी नहीं मिली जो कई दशकों तक कांग्रेस का ही हिस्सा हैं। सोनिया मृतकों के परिजनों से मिलकर सीधे चली गई और इस दौरान कांग्रेस  को इस गढ़ को हारने की टीस चेहरे पर देखी जा सकती थी। रायबरेली से चल कर कांग्रेस अध्यक्ष का काफिला सीधे अमेठी के भरेथा मौजा में पहुंचा। हालांकि सोनिया और प्रियंका के आने की खबर पाते ही रास्ते में ग्रामीण उनका इंतजार करते रहे, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष का काफिला मृतक के परिजनों के घर भरेथा मौजा पहुंचा।

सोनिया ने परिजनों से मुलाकात कर अपनी संवेदना व्यक्त की और इसके बाद सोनिया का काफिला फुरसतगंज हवाई पट्टी पहुंचा। सोनिया ने भी अमेठी में राहुल गांधी की हार के लिए अपनी बेरूखी दिखाई। राहुल गांधी के हारने के बाद सोनिया गांधी यहां पहली बार पहुंची थी। हालांकि प्रियंका अमेठी में सक्रिय हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस का वो प्यार अब अमेठी के लिए नहीं दिखता है जो पांच साल पहले दिखता था।