दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महीने के भीत्तर कर्बला की जमीन को खाली करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने अहमद पटेल और उनके सहयोगी पर 6 करोड़ 92 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। हालांकि पटेल पर लगाये गए जुर्माने से याचिकाकर्ता के वकील महमूद पारचा खुश नही है। दिल्ली हाइकोर्ट जाने की बात कह रहे है। पारचा की माने तो पटेल ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर कमिटी के सदस्यों पर 50 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज करा दी थी। 
कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। 

वक्फ बोर्ड की ढाई एकड़ जमीन के लिए अहमद पटेल और बोर्ड के बीच विवाद चल रहा था। यहां पर साल 2015 में जबरन घुसने और लोगों को डराने की साजिश के आरोपों पर कोर्ट ने संज्ञान ले लिया था। हालांकि संबंधित मामले में सांसद के खिलाफ पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने की मांग को खारिज कर दिया था।

 शिकायतकर्ता जहरुल हसन ने कहा कि वक्फ बोर्ड दिल्ली की महंगी जगहों में से के जोरबाग में स्थित है, और बड़े पैमाने पर खुले मैदान होने की वजह से सांसद समेत कुछ भूमाफियाओं की इस पर नजर है। 

हसन ने अपनी शिकायत में  यह भी कहा था कि वह अंजुमन ए हैदरी के वे मैनेजर है। यानी अलीगंज, जोरबाग के कर्बला में मौजूद वक्फ की संपत्तियों के ट्रस्टी और मुतवल्ली है। उनके मुताबिक यह शिया मुसलमानों के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है। 

शिकायतकर्ता के मुताबिक साल 2015 में दोपहर की मजलिस के समय कुछ लोग भारी पुलिस बल और स्थानीय लोगों के साथ कर्बला के बाहर जमा हो गए और भड़काऊ भाषण देते हुए कुछ लोग जबरन अंदर घुस गए और वहां के सामान आदि को नुकसान पहुचाया। 

हसन का यह भी आरोप था कि हमला करने वालो ने खुद बताया कि यह हमला कांग्रेस सांसद के कहने पर किया गया है। यदि वह नर्सरी के खिलाफ केस वापस लेते है तो ये हमले रोक दिए जाएंगे। हालांकि हसन के मुताबिक स्थानीय पुलिस से कई बार इसकी शिकायत की गई, लेकिन भू माफियाओं के प्रभाव के कारण किसी तरह की कानूनी कार्यवाही नहीं की गई। 

आरोप लगाया गया है कि पटेल के मार्गदर्शन में भू माफियाओं ने साजिश के तहत अपराधों को अंजाम दिया। अतिक्रमणकारी इस हद तक पहुंच गए कि उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज तक का गलत इस्तेमाल किया।