नई दिल्ली: आज दिल्ली की अदालत में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के मामले में सुनवाई हुई। 

प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने अदालत में बताया कि वाड्रा जांच में सहयोग नही कर रहे है। ईडी ने कोर्ट में कुछ मेल प्रस्तुत किए, जिससे यह जाहिर होता है कि रॉबर्ट वाड्रा, उनके पूर्व सचिव मनोज अरोड़ा, लंदन की संपत्ति बेचने वाले  सीसी थंपी और बदनाम आर्म्स डीलर संजय भंडारी के बीच सांठ गांठ है। 

संजय भंडारी ही कालाधन मामले में आरोपी है। जिसके खिलाफ एलओसी भी जारी की गई है, लेकिन वह देश से फरार होने में कामयाब रहा। 

संजय भंडारी भी इन दिनों लंदन में ही है। वह पहले रॉबर्ट वाड्रा का पड़ोसी हुआ करता था। बताया जा रहा है कि उसने दो डील भी कराई थी। 

ईडी ने अदालत मे जानकारी दी कि जब वाड्रा को लंदन का फ्लैट बेचने वाले सी.सी.थंपी से पूछा गया कि क्या वह रॉबर्ट वाड्रा को जानते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया कि दोनों के बीच पिछले 10 सालों से संबंध हैं। 

थंपी ने जानकारी दी कि सोनिया गांधी के ओएसडी पी.पी माधवन ने उनकी मुलाकात रॉबर्ट वाड्रा से करवाई थी। 

प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने वाड्रा का उस मेल की कॉपी अदालत में पेश की, जिसमें बार बार लंदन की संपत्ति का जिक्र किया गया है। 

ईडी ने यह भी बताया कि वाड्रा नहीं चाहते थे कि इस बारे में मेल पर कोई जिक्र किया जाए। इसके लिए उन्होंने एक मेल में कहा भी था कि ईमेल के जरिए बार बार इसका जिक्र ना किया जाए। 
ईडी के मुताबिक वाड्रा ने 16 अप्रैल को पुराने मेल पर लंदन की संपत्ति का जिक्र करने से मना किया था। जिसके बाद वाड्रा ने दूसरी ईमेल आईडी उपलब्ध कराई थी, जिसमें संजय भंडारी का जिक्र किया गया है। 

वाड्रा ने जो नई मेल आईडी प्रदान की थी, वह जीमेल की बजाए एक्जिम की थी। 

वाड्रा की तरफ से अदालत में पेश हुए उनके वकील केटीएस तुलसी ने अदालत में दावा किया कि किसी तरह के पेमेंट या कांट्रेक्ट या विदेशी खरीदारी में उनके क्लाइंट का कोई हाथ नहीं है। 

केटीएस तुलसी ने कहा रॉबर्ट वाड्रा से 60 घंटे तक पूछताछ की गई। जिसमें उन्होंने पूरा सहयोग किया। इसलिए उनको हिरासत में लेकर पूछताछ करने की कोई जरूरत नही है।