शुक्रवार को ब्रह्म कुंड हर-की-पौड़ी में हरिद्वार में राख विसर्जन अनुष्ठान फिर से शुरू हुआ है। महीने भर के अंतराल के बाद हरिद्वार में राख विसर्जन अनुष्ठान फिर से शुरू हुआ। इसको लेकर वहां पर मौजूद पुरोहित और पंडों ने भी सरकार को इसके लिए धन्यवाद दिया। क्योंकि इन लोगों की आय का जरिया ही ये धार्मिक अनुष्ठान हैं। लेकिन कोरोना के संकट के कारण इन लोगों को खाने के लाले पड़ गए थे।
हरिद्वार। कोरोना लॉकडाउन में अपनी सांस लेने वाले मृतकों कीआत्मा को अब मुक्ति मिलेगी। पिछले चालीस दिनों इन मृतकों के अंतिम क्रिया की राख मटके में लॉकर में बंद थी और परिजन हरिद्वार में गंगा घाट पर इनके तर्पण के लिए राख विसर्जन करने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे थे। लेकिन अब आखिरकार लोगों को हरिद्वार में राख विसर्जन की अनुमति दे दी है।
शुक्रवार को ब्रह्म कुंड हर-की-पौड़ी में हरिद्वार में राख विसर्जन अनुष्ठान फिर से शुरू हुआ है। महीने भर के अंतराल के बाद हरिद्वार में राख विसर्जन अनुष्ठान फिर से शुरू हुआ। इसको लेकर वहां पर मौजूद पुरोहित और पंडों ने भी सरकार को इसके लिए धन्यवाद दिया। क्योंकि इन लोगों की आय का जरिया ही ये धार्मिक अनुष्ठान हैं। लेकिन कोरोना के संकट के कारण इन लोगों को खाने के लाले पड़ गए थे। लेकिन अब इन लोगों को खुशी है कि लोग धार्मिक अनुष्ठान कराने गंगा घाट पर आएंगे और इन्हें दक्षिणा मिलेगी।
हर-की-पौड़ी गंगा घाट पर लोग ब्रह्म कुंड के गर्भगृह में राख के कलश ले जाते देखे गए। स्थानीय पुजारियों ने भी धार्मिक कार्यक्रमों को फिर से शुरू कर दिया और राख-विसर्जन अनुष्ठान का संचालन किया। यहां मौजूद पुजारियों के अनुसार आमतौर पर हरिद्वार में रोजाना लगभग 2000 से 5000 लोग राख-विसर्जन अनुष्ठान के लिए आते हैं। लेकिन कोरोना संकट के बीच में कार्यक्रम बंद हो गए थे और लोगों ने भी आना बंद कर दिया था।
हर-की-पौड़ी को धार्मिक महत्व के साथ एक प्राचीन स्थान माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं और राक्षसों के बीच रस्साकशी के बाद देवताओं का अमृत यहां गिर गया था। लिहाजा देश या विदेश से यहां पर लोग धार्मिक अनुष्ठान कराने के लिए आते हैं। हालांकि हरिद्वार जिला प्रशासन ने निर्देश दिया है कि केवल दो व्यक्ति और एक ड्राइवर को हर-की-पौड़ी गंगा घाट पर एक कलश के साथ जाने की अनुमति होगी। वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
इस फैसले को सही दिशा में एक कदम बताते हुए हर-की-पौड़ी गंगा घाट के मुख्य प्रबंध निकाय, गंगा सभा के पदाधिकारियों ने कहा कि राख विसर्जन को एक पखवाड़े पहले अनुमति दी जानी चाहिए थी। क्योंकि हिंदू रीति रिवाजों के मुताबिक क्रिया कर्म के बाद राख को विसर्जित करना अनिवार्य माना जाता है और मृतक की आत्मा का तर्पण भी तभी होता इससे आत्मा को मोक्ष प्रदान होता है। उन्होंने कहा कि यह काफी दुखद है कि अंतिम संस्कार के बाद लोगों को मृतक के कलशों को कुछ समय के लिए रखना पड़ता था।
लेकिन अब मृतकों को मोक्ष मिल सकेगा। हरिद्वार के पुजारी पिछले एक सप्ताह से राज्य सरकार इसके लिए प्रार्थना कर रहे थे। अखिल भारतीय युवा तीर्थ पुरोहित के अध्यक्ष उज्जवल पंडित ने कहा कि लॉकडाउन ने उनकी आजीविका को बुरी तरह प्रभावित किया है। हरिद्वार में लगभग 2000 पुजारी कई पीढ़ियों से राख विसर्जन अनुष्ठान में शामिल हैं।
Last Updated May 9, 2020, 12:46 PM IST