उत्तर प्रदेश में चुनावी गठबंधन के जरिए लोकसभा चुनाव लड़ रहे एसपी और बीएसपी राज्य की दो सीटों को आपस में एक्सचेंज करेंगे। इसके तरह एसपी जौनपुर की सीट बीएसपी के साथ बदल सकती है। वहीं बीएसपी भी एक सीट को बदलेगी। लेकिन बलिया सीट को लेकर दोनों दलों में कोई सहमति नहीं बन पायी है।

राज्य में एसपी और बीएसपी के बीच हुए गठबंधन के तहत बीएसपी को 38 सीटें और एसपी के खाते में 37 सीटें आयीं। वहीं इस गठबंधन में तीन सीटें आरएलडी को दी गयीं जबकि दो सीटें अमेठी और रायबरेली में गठबंधन ने कांग्रेस के खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है। अभी तक राज्य में एसपी ने 30 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं जबकि सात सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय नहीं हैं। हालांकि इस मामले में बीएसपी पीछे नहीं हैं और उसने अपने ज्यादा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार दिये हैं।

एसपी के खाते में पूर्व उत्तर प्रदेश की सीटें आयीं हैं तो बीएसपी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर चुनाव लड़ रही है। एसपी ने राज्य की सात सीटों पर चेहरे तय नहीं किए हैं। ये सात सीटें लखनऊ, फूलपुर, इलाहाबाद, बलिया, चंदौली, महराजगंज और वाराणसी लोकसभा क्षेत्र की हैं। बलिया को लेकर एसपी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। क्योंकि यहां से पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर चुनाव लड़ना चाह रहे हैं जबकि एसपी इस सीट को बीएसपी को देना चाहती है।

लिहाजा एसपी इस सीट को बीएसपी के साथ एक्सचेंज करना चाहती है। लेकिन समस्या ये है कि बीएसपी कई सीटों पर प्रत्याशियों को वादा कर चुकी है। लिहाजा ऐन मौके पर प्रत्याशी बदलना और फिर किसी दूसरी जगह पर प्रत्याशी का चयन करना मुश्किल भरा है। जिसे उसके विरोधी दल इस बड़ा मुद्दा बना सकते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि एसपी बसपा के कोटे में गई जौनपुर सीट एक्सचेंज कर सकती है। इसके बदले में बीएसपी को बलिया या महराजगंज की सीट दे सकती है। एसपी अध्यक्ष जौनपुर से अपने चचेरे भाई तेज प्रताप को टिकट देना चाहते हैं।

गौरतलब है कि तेज प्रताप का ही टिकट काटकर मुलायम सिंह को मैनपुरी से टिकट दिया है। वहीं जौनपुर से पूर्व मंत्री व सांसद पारसनाथ यादव टिकट के दावेदार हैं। जबकि बलिया से सपा के संभावित दावेदारों में पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर अखिलेश के करीबियों में गिने जाते हैं, वह चुनाव लड़ने की तैयारी में है। ऐसे में एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव कोई मैसेज नहीं देना चाहते हैं। जिससे उन पर परिवारवाद का आरोप लगे।