उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा महागठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार चैत्र नवरात्र से शुरू करेंगे। दिलचस्प ये है कि दोनों दल ये प्रचार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बेल्ट से शुरू करेगा।
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा महागठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार चैत्र नवरात्र से शुरू करेंगे। दिलचस्प ये है कि दोनों दल ये प्रचार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बेल्ट से शुरू करेगा। सपा बसपा की ये कोशिश हिंदू वोटरों को साधने की है।
लोकसभा चुनाव के लिए सपा-बसपा ने तैयारी कर ली है। असल में सपा-बसपा गठबंधन की लड़ाई अब भाजपा और कांग्रेस के साथ होनी है। कांग्रेस ने दावा किया है कि वह राज्य में अकेले चुनाव लड़ेगी और अभी तक उसने करीब दो दर्जन से ज्यादा प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं जबकि सपा की तरफ से 11 प्रत्याशी उतारे गए हैं। वहीं बसपा ने अभी तक किसी भी प्रत्याशी को घोषित नहीं किया है।
वहीं भाजपा ने भी किसी को चुनाव में नहीं उतारा है। लेकिन अब सभी राजनैतिक दल हिंदू वोटरों पर फोकस कर रहे हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत चैत्र नवरात्रि से करेंगे। इसको उनकी हिंदू वोटरों को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटर काफी निर्णायक हैं और सपा और बसपा का वोट बैंक माने जाते हैं। लिहाजा इस मुस्लिम वोट बेल्ट में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की पहली संयुक्त रैली 7 अप्रैल को सहारनपुर के देवबंद में होगी। गौरतलब है कि सहारनपुर मुस्लिम बाहुल्य इलाका है और देवबंद अपने फतवों को लेकर सुर्खियों में रहता है। इस रैली में अखिलेश-मायावती के साथ साथ राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह भी मौजूद रहेंगे। गठबंधन में सीटों के बंटवारे में अजित सिंह के कोटे में मुज़फ्फरनगर लोकसभा सीट आयी है।
नवरात्रि में चुनावी रैली शुरू करने का असल मकसद हिंदुओं वोटरों को ये मैसेज देना चाहते हैं कि हम पवित्र त्योहार में कैंपेन की शुरुआत कर रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से रैली शुरू करने का अहम कारण कांग्रेस के विवादित नेता इमरान मसूद का इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना है। यहां कांग्रेस के पास मुस्लिम वोट बैंक ना जाए, इसलिए सपा-बसपा ने पहली रैली सहारनपुर के देवबंद में करने की योजना बनाई है।
Last Updated Mar 15, 2019, 2:38 PM IST