कुछ दिनों पर पहले जब सोनिया ने एनआरसी और सीसीए को लेकर विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी। तब भी बसपा ने सोनिया की बैठक से किनारा कर संदेश दिया था। मायावती कांग्रेस को लेकर पहले से ही नाराज चल रही है।कांग्रेस ने राजस्थान में बसपा के छह विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में शामिल कर लिया था जबकि बसपा राजस्थान की कांग्रेस सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी।
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों कीआज की बैठक से उत्तर प्रदेश की प्रमुख सियासी दल सपा और बसपा ने दूरी बनाकर कांग्रेस को साफ संदेश दे दिया है। सपा और बसपा ने सोनिया की बैठक से किराना किया और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। सपा बसपा ने इस बैठक में शामिल न होकर कांग्रेस को ये संदेश भी दिया है कि कांग्रेस विपक्षी दलों की नेता नहीं है। वहीं जितना प्रियंका यूपी में सक्रिय होंगी, ये सियासी दल कांग्रेस से उतनी ही दूर जाएंगे।
असल में उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा प्रमुख राजनैतिक दल हैं और इनकी संक्रियता यूपी में ही है। वहीं अगर कांग्रेस इन राज्यों में मजबूत होती है तो इसका सीधा नुकसान इन दोनों दलों को उठाना पड़ेगा। लिहाजा इन दोनों दलों ने सोनिया की आज की बैठक से किनारा किया। ऐसा पहली बार नहीं कि इन दोनों दलों ने सोनिया की बैठक से किनारा किया हो। कुछ दिनों पर पहले जब सोनिया ने एनआरसी और सीसीए को लेकर विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी।
तब भी बसपा ने सोनिया की बैठक से किनारा कर संदेश दिया था। मायावती कांग्रेस को लेकर पहले से ही नाराज चल रही है।कांग्रेस ने राजस्थान में बसपा के छह विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में शामिल कर लिया था जबकि बसपा राजस्थान की कांग्रेस सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी। जिसके बाद से ही मायावती ने कांग्रेस से दूरियां बनानी शुरू कर दी थी।
वहीं अब यूपी में प्रियंका गांधी वाड्रा सक्रिय हो रही है। इन दोनों दलों को प्रियंका की सक्रियता खटक रही है। क्योंकि दोनों दलों का मानना है कि अगर राज्य में कांग्रेस मजबूत हुई तो इन दोनों दलों को नुकसान होगा। मुस्लिम वोट कांग्रेस की तरफ जाएगा। जिसे कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता था। फिलहाल राज्य में प्रियंका गांधी बस प्रकरण को लेकर केन्द्र में हैं और उन्होंने विपक्षी दलों से मुद्दा छिनकर कांग्रेस के पाले में ला दिया है। लिहाजा बस प्रकरण को लेकर मायावती भी कांग्रेस पर आक्रामक हैं। बसपा ने साफ कहा कि प्रियंका पंजाब और महाराष्ट्र से प्रवासियों को बस की सुविधा मुहैया कराए। वहीं आज राजस्थान सरकार को उन्होंने यूपी के छात्रों से बस का किराया लेने के लिए भेजे गए बिल को लेकर कंगाल कह दिया है।
उधर सपा भी राज्य में कांग्रेस की सक्रियता को लेकर परेशान है। क्योंकि राज्य में सपा अभी तक मुख्य विपक्षी पार्टी होने के बाद मुद्दों पर सरकार को घेरने में विफल रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव अकसर सोनिया गांधी की बैठक में महासचिव रामगोपाल यादव को पार्टी प्रतिनिधि के तौर पर भेजते रहे हैं। लेकिन इस बार सपा ने सोनिया की बैठक से दूरी बनाकर कांग्रेस को कड़ा संदेश दिया है। प्रियंका गांधी राज्य में दलित, आदिवासियों से लेकर मुसलमानों के बीच अपनी पैठ बनाने में जुटी हैं। जो सीधे तौर पर सपा का नुकसान देखा जा रहा है।
Last Updated May 22, 2020, 6:32 PM IST