आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देने के लिए सपा और बसपा के बीच बनने वाले गठबंधन की संभावनाओं को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने पिछड़े वर्ग को एकजुट करने की तैयारी शुरू कर दी हैं. राज्य में सपा का बसपा के साथ लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन होने के आसार हैं.

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव फतह करने के लिए पिछड़ी जातियों को एकजुट करने की तैयारी में हैं. सपा ने सात जनवरी से प्रदेश की हर विधानसभा क्षेत्र में गांव स्तर तक ‘‘समाजवादी विकास, विजन और सामाजिक न्याय’ कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है. इस कार्यक्रम के तहत पार्टी जनता को मोदी और योगी सरकार की जनता विरोधी नीतियों का खुलासा करेंगे. इसके साथ ही नोटबंदी, जीएसटी से देश की अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान, किसानों, नौजवानों, बेरोजगारी, महिलाओं की सुरक्षा, भ्रष्टाचार, कर्ज में डूबे किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या के बारे में बताएंगे.

असल में सपा यादवों के साथ ही पिछड़े वर्ग की अन्य जातियां भी भाजपा के खिलाफ एकजुट करने में जुटी है. पिछड़ों में यादव सपा का मजबूत वोट बैंक माना जाता है और राज्य में चार बार उसकी सरकार बनाने में यादव वोट बैंक ने अहम भूमिका निभाई है. लिहाजा सपा अरसे से जातियों की जनगणना कर जनसंख्या के आधार पर आनुपातिक आरक्षण की व्यवस्था हो. सपा का आरोप है कि पिछड़ी जातियों की आबादी के हिसाब से हक देने के बजाए पिछड़े वर्ग के 27 फीसदी आरक्षण को पिछड़ी जाति के विभिन्न वर्गों में बांटने की साजिश कर रही है. सपा का कहना है कि प्रदेश की 15 प्रतिशत आबादी को 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है वहीं दूसरी ओर 85 फीसदी आबादी के लोगों को केवल 50 फीसदी आरक्षण में ही सीमित किया जा रहा है जो न्याय संगत नहीं है. 

फिलहाल ऐसा कहा जा रहा है कि यूपी की लोकसभा की 80 सीटों में से 37-37 सीटों पर दोनो दल चुनाव लड़ेंगे. मायावती के घर हुई बैठक में सीटों के बंटवारे का फार्मूला इसकी औपचारिक घोषणा मकर संक्रांति के दिन या उसके बाद की जा सकती है.