मध्यावधि चुनाव पर भी रोक लगाई। अपदस्थ पीएम विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी ने शीर्ष अदालत में दी थी राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती। 

श्रीलंका का राजनीतिक संकट गहराने का अंदेशा बढ़ गया है। वहां की सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना का फैसला पलट दिया है। साथ ही राष्ट्रपति की ओर से चुनाव की तैयारियों पर भी रोक लगा दी है। इसे सिरीसेना को बड़ा झटका माना जा रहा है। चीफ जस्टिस नलिन परेरा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। खास बात यह है कि सुनवाई के दौरान अदालत में बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। जजों ने कमांडो की घेरेबंदी के बीच यह अहम फैसला दिया। 

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सिरीसेना ने 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को पद से बर्खास्त कर उनके स्थान पर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नया पीएम नियुक्त कर दिया था। बड़ी पार्टी होने के चलते जब विक्रमसिंघे ने संसद में बहुमत साबित करने का दावा किया तो एक नाटकीय घटनाक्रम में सिरीसेना ने संसद भंग कर 5 जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी। इस फैसले को अपदस्थ पीएम विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। उनकी याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति का  फैसला पलटा है। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपदस्थ पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने खुशी जताई है। उन्होंने ट्वीट कहा, 'जनता को पहली जीत मिली है। अभी और बढ़ना है। अपने प्यारे देश में लोगों को एक बार फिर से संप्रभुता की बहाली करनी है।' 

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