पहाड़ी राज्य हिमाचल में लोकसभा के अंतिम चरण के लिए रविवार को मतदान होगा। राज्य की चार लोकसभा सीटों में बहरहाल कई दिग्गज गायब हैं। जो कभी राज्य की राजनीति के साथ ही देश की राजनीति में दखल रखते थे। लेकिन इस बार चुनाव में दिग्गज नदारद तो हैं, लेकिन उनकी साख पूरी तरह से दांव पर लगी है। राज्य में चार बड़े सियासी परिवार वीरभद्र सिंह, सुखराम, प्रेम कुमार धूमल और शांता कुमार की प्रतिष्ठा सीधे तौर पर दांव पर है।

राज्य की चार संसदीय सीटों शिमला, मंडी, हमीरपुर व कांगड़ा सीट पर रविवार को एक साथ मतदान होगा। राज्य में मुख्य मुकाबला हालांकि बीजेपी और कांग्रेस के बीच में है। लेकिन मुकाबला असल में राज्य के उनके दिग्गजों की साख के लिए भी है। जो विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव में पूरी तरह से दखल रखते थे। राज्य की सियासत में पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का कांग्रेस की राजनीति में सबसे ज्यादा दखल रहा है।

कांग्रेस आलाकमान के करीबी माने जाने वाले सिंह इस बार चुनाव मैदान से बाहर हैं। यहां तक कि उनके परिवार को भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ रहा है। लेकिन मंडी सीट पर उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। मंडी सीट पर जब भी कांग्रेस ने जीत हासिल की, वीरभद्र सिंह के परिवार का कोई न कोई व्यक्ति वहां से प्रत्याशी रहा। लेकिन इस बार इस सीट को बचाने की जिम्मेदारी भी सिंह की है।

यही नहीं इस सीट पर राज्य के सीएम जयराम ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर है। ठाकुर मंडी सीट में आने वाली सराज विधानसभा सीट से विधायक हैं और राज्य के सीएम भी। यही नहीं मंडी सीट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुखराम की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। यहां पर उनके पोते आश्रय शर्मा चुनावी मैदान में हैं। कभी मंडी को सुखराम का गढ़ माना जाता था। 
वहीं राज्य की कांगड़ा सीट भी काफी अहम है। यहां से बीजेपी नेता शांता की साख दांव पर है।

शांता कुमार इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। लेकिन प्रत्याशी को जिताने की जिम्मेदारी पूरी तरह से उनकी है। इस बार उनके शिष्य माने माने वाले किशन कपूर बीजेपी टिकट से मैदान में हैं। वहीं बीजेपी के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की प्रतिष्ठा हमीरपुर सीट पर दांव पर है यहां से  उनके बेटे और मौजूदा बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर मैदान में हैं। अनुराग ठाकुर चौथी बार सांसद बनने के लिए लड़ रहे हैं।