दिन मंगलवार 28 अगस्त, सुबह से ही अर्बन नक्सली के तौर पर चिन्हित हो रहे नक्सली शुभचिंतकों के देशभर के कई ठिकानों पर छापेमारी होने लगी। शाम तक माजरा स्पष्ट भी हो गया कि कुल 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने में शामिल होने के आरोप में। नाम थे वरवर राव, गौतम नौलखा, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वरनन गोंजाल्विस। वामपंथ की आड़ में नक्सल हिंसा तक को जायज ठहराने वाला वर्ग इस तर्क पर आमादा हो गया कि इन सभी ‘बुद्धिजीवियो’ को नाहक फंसाया गया है। तर्क अपनी जगह तथ्य अपनी जगह।

पांचों कथित वामपंथी बुद्धिजीवियों के खिलाफ मामला कोर्ट-कचहरी में है। अभियोजन पक्ष ने ये बताया है कि क्यों ये ‘शहरी नक्सलवादी’ हैं। सरकारी पक्ष की तरफ से सुधा भारद्वाज के खिलाफ सबूत के रूप में जो चिट्ठी अदालत में पेश की गई है, वो बहुत साफ तरीके से ये साबित करती है कि सुधा भारद्वाज राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रही हैं। 

ये चिट्ठी सुधा भारद्वाज ने अपने किसी सहयोगी कॉमरेड प्रकाश को लिखी है। इस चिट्ठी में प्रोफेसर साई बाबा में हवाला दिया गया है, उनकी हिमायत की गई है। लिखा गया है कि प्रोफेसर साई बाबा की गिरफ्तारी से अर्बन काडर में दहशत पैदा हुआ है और इसको दूर करने के लिए कश्मीर में आतंकवादियों को दिए जाने पैकेज की तर्ज पर अर्बन काडर को भी पैकेज दिया जाय ताकि वो दहशत में ना आकर काम करते रहें। सवाल ये है कि सुधा भारद्वाज देश के खिलाफ कैसे मॉडल के चुनाव की सलाह दे रही हैं।

बताते चलें कि जिस प्रोफेसर साई बाबा की हिमायत करते हुए वो आतंकी फंडिंग जैसे सहायता कोष की बात कर रही हैं उसको गढ़चिरौली की एक अदालत ने नक्सलियों के साथ संबंध रखने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है। 2014 में साईबाबा को नक्सलियों को समर्थन देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। वो सितंबर 2009 में कांग्रेस सरकार के शुरू किए गए ऑपरेशन ग्रीन हंट में भी पकड़े गए थे। 

चिट्ठी में अगली बड़ी बात, जिसको देखकर आपको अचंभा होगा, लिखी है, कश्मीर में कॉमरेड अंकीत, कॉमरेड गौतम नौलखा आतंकवादियों के संपर्क में हैं। वहां दुश्मनों द्वारा किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ वो मीडिया का बेहतर इस्तेमाल करेंगे। आतंकवादियों को लीगल सहायता दिलाने पर भी जोर दिया गया है। सुधा भारद्वाज की नजर में इंडियन आर्मी और भारत सरकार दुश्मन हैं, जैसा कि चिट्ठी में लिखा है। 

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ये तथ्य क्या साबित करते हैं? चिट्ठी का ब्यौरा आपके सामने है। तय किया जा सकता है ये शहरी नक्सली हैं या किसी पंथ के विचारक।