मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट बीजेपी के लिए मुसीबत बनती जा रही है। अभी तक इस सीट के लिए किसी भी प्रत्याशी का नाम तय नहीं हुआ है। जबकि कांग्रेस यहां से अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। यहां पर मौजूदा सांसद सुमित्रा महाजन फिर से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। लेकिन पार्टी उनकी जगह किसी और को इंदौर से प्रत्याशी बनाना चाहती है। क्योंकि जिस नियम के तहत वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं दिए गए, वो नियम ताई पर भी लागू होता है। हालांकि कैलाश विजयवर्गीय ने भी इंदौर से चुनाव लड़ने के लिए मना कर दिया है।

इंदौर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद सुमित्रा महाजन ने पीएम नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर अपनी बात रखी। लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है। राज्य की ज्यादातर सीटों पर बीजेपी ने प्रत्याशी तय कर दिए हैं। लेकिन इंदौर को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। बीजेपी द्वारा बनाए गए नियम के मुताबिक 75 वर्ष की आयु पार कर चुके सांसदों को पार्टी टिकट नहीं दे रही है। इसी नियम के तहत वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गजों को टिकट काटा गया और इसी नियम के तहत अभी तक सुमित्रा महाजन को टिकट नहीं दिया गया है।

लेकिन सुमित्रा महाजन राजनीति में सक्रिय रहना चाहती हैं। असल में पार्टी सुमित्रा महाजन और कैलाश विजयवर्गीय के अलावा किसी और नेता को यहां से टिकट देना चाहती है। लेकिन ऐसा कोई नेता नहीं मिल रहा है जिसकी स्वीकार्यता इन  दोनों नेताओं में हो। सुमित्रा महाजन और कैलाश विजयवर्गीय की इंदौर में जबरदस्त टिकट है। लेकिन दोनों ही नेता लोकसभा के चुनावी मैदान से हट चुके हैं। लेकिन ये तय हो गया है कि ताई को पार्टी को टिकट नहीं देगी।

 जिस नाम को ताई टिकट दिलाना चाहती है, उस पर संघ और बीजेपी की मुहर लगनी जरूरी है। ताई की पसंद पर दूसरा धड़ा सवाल उठा रहा है क्योंकि विधानसभा चुनाव में ताई के पसंद के चार नेताओं को टिकट दिए गए थे और ये चारों चुनाव हार गए हैं। जिसके कारण विरोधी खेमा सक्रिय है। लिहाजा दोनों नेताओं ने पार्टी आलाकमान पर इसके लिए जिम्मेदारी छोड़ दी है।