नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राममंदिर विवादित बाबरी मस्जिद में ऐतिहासिक फैसला शनिवार को सुना दिया है। विवादित जमीन का मालिकाना रामलला को दिया गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में पांच एकड़ की जमीन मुस्लिम समाज को देने का फैसला सुनाया है। ये जमीन उत्तर प्रदेश सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को देनी होगी। लेकिन अब इस जमीन को लेकर तरह तरह के बयान आने शुरू हो गए हैं। कई मुस्लिम नेताओं का कहना है कि देश में मस्जिद बहुत हैं। लिहाजा इसमें अस्पताल और स्कूल बनाया जाना चाहिए। वहीं कुछ नेता मस्जिद बनाने के पक्ष में हैं।

असल में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और सांसद असुद्दीन ओवैसी ने ही सुप्रीम का फैसला आने के बाद साफ कर दिया था कि वह मस्जिद के लिए किसी खैरात की जमीन को नहीं लेंगे। ओवैसी ने कहा कि ये फैसला एक तरफा दिया गया है। हालांकि बोर्ड के अध्यक्ष ने साफ किया कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आदर करते हैं और बोर्ड किसी भी रिव्यू पिटिशन के पक्ष में नहीं है। जबकि बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर करने की बात कही थी। जिसको लेकर बोर्ड में ही दो फाड़ हो गए थे।

हालांकि बाद में बोर्ड को फिलहाल माना जा रहा है कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अयोध्या में 5 एकड़ जमीन लेने के मामले पर 26 नवंबर को बैठक में फैसला ले सकता है। बोर्ड ने इस दिन इस मुद्दे पर बैठक बुलाई है। जिसमें जमीन को लेकर फैसला किया जाएगा। हालांकि कई धर्मगुरुओं का साफ कहना है कि इस जमीन पर स्कूल या फिर अस्पताल बनाया जाए। वहीं कुछ मुस्लिम नेता मस्जिद के लिए दान की गई जमीन को सही नहीं ठहरा रहे हैं।

लिहाजा माना जा रहा है कि 26 नवंबर को होने वाली बैठक में काफी गहमागहमी होगी और बोर्ड मस्जिद के साथ ही स्कूल और अस्पताल के प्रस्ताव को मंजूर कर सकता है। क्योंकि पांच एकड़ की जमीन काफी ज्यादा होती है। हालांकि वक्फ बोर्ड की बैठक मंगलवार यानी 13 नवंबर को होनी थी लेकिन अयोध्या का फैसला आने के बाद इसे टाल दिया गया है।