मुंबई डांस बार चलता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ डांस बार चलाने की मंजूरी दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने डांस बार संचालकों को राहत दे दिया है। 

कोर्ट ने कहा डांस बार एरिया और ग्राहकों के बीच दीवार नहीं होगी। सरकार ने नियम तय किया था कि ग्राहक और डांसर के बीच एक 3 फुट ऊंची दीवार बनाई जाए, जिससे ग्राहक डांस तो देख सके मगर उन तक जा न सके। 

साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि मुम्बई जैसे क्षेत्र में धार्मिक जगहों से एक किलोमीटर की दूरी पर डांस बार होने का नियम तर्क संगत नहीं है। 

कोर्ट ने कहा कि ग्राहक डांसर को टिप दे सकते हैं, मगर पैसे नहीं लुटा सकते हैं। 
कोर्ट ने कहा कि डांसर और मालिक के बीच वेतन फिक्स करना सही नहीं। ये अधिकार सरकार का नहीं बल्कि मालिक और डांसर के बीच आपसी कॉन्ट्रैक्ट का मामला है। 

कोर्ट ने शाम 6,30 से 11,30 तक डांस बार खोलने की अनुमति दी है। 

कोर्ट ने साफ कर दिया है कि डांस बार मे सीसीटीवी लगाने के नियम ठीक नही है और उस नियम को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
 
बतादें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि नया कानून संवैधानिक दायरे में आता है और यह गैर कानूनी गतिविधियों और महिलाओं का शोषण को भी रोकता है। 

जिसपर कोर्ट ने कहा था कि जीविका कमाने का अधिकार सभी को है लेकिन राज्य की जिम्मेदारी है कि वह अभी के अधिकारों और हितों का ख्याल रखे। 

बतादें कि मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुंबई में ऐसा लग रहा है कि मोरल पुलिसिंग हो रही है। 

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के कड़े नियमों के चलते मुंबई में एक भी डांस बार का परिचालन नही हो पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट यहां तक कहा था कि समय के साथ साथ अश्लीलता की परिभाषा भी बदल गई है। 

कोर्ट ने कहा था कि पुरानी फिल्मों में चुंबन और प्यार भरे दृश्यों के लिए दो फूलों का मिलना और दो पक्षियों का चहचहाना दिखाया जाता था। डांस बार मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनका लाइसेंस रिन्युअल नही हो रहा है। नए लाइसेंस भी नहीं मिल रहे है। 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के फैसलों में राज्य सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी को हटा लिया था। लेकिन राज्य सरकार ने नए लाइसेंस व पुराने लाइसेंस को लेने के लिए नियम कड़े कर दिए थे। जिसके चलते डांस बार मालिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बार मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।