सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई को आदेश दिया है कि वह सभी दस्तावेज कोर्ट में दाखिल करे। मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि प्रारंभिक जांच 2013 में ही बंद कर दी थी।

इससे पहले कोर्ट के आदेश के बाद मुलायम और अखिलेश की ओर से हलफनामा दाखिल कर कहा गया था कि उनके खिलाफ दायर याचिका राजनीति से प्रेरित है। मुलायम ने कहा था कि लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं, इसलिए जानबूझकर उनके खिलाफ याचिका दाखिल की गई है। मुलायम ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कई बातें छुपाई है। उन्होंने यह भी कहा था कि आयकर विभाग ने उनकी और उनके परिवार की संपत्ति की जांच की थी, लेकिन उन्हें कुछ नही मिला। ऐसे में उनके और उनके परिवार के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया जाना चाहिए। 

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील विश्वथान चतुर्वेदी ने दायर की है। याचिका में सीबीआई को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वह या तो सुप्रीम कोर्ट या मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष आय से अधिक संपत्ति मामले की रिपोर्ट पेश करे।

याचिकाकर्ता विश्वथान चतुर्वेदी ने 2005 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर सीबीआई को यह निर्देश देने की मांग की थी, वह मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव उनकी पत्नी डिंपल यादव और मुलायम के दूसरे बेटे प्रतीक यादव के खिलाफ सत्ता का दुरुपयोग कर कथित तौर पर आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत उचित कार्रवाई करे। 

सुप्रीम कोर्ट ने एक मार्च 2007 के अपने फैसले में सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह आरोपों की जांच करे और यह पता लगाए कि समाजवादी पार्टी के नेताओं की आय से अधिक संपत्ति के संदर्भ में लगाये गए आरोपी सही हैं या नहीं।