नई दिल्ली: दरअसल तेज बहादुर ने अपना नामांकन खारिज करने पर चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग द्वारा नामांकन रद्द करने के फैसले पर विचार करने की अपील की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसपर सुनवाई से इनकार कर दिया। 

चुनाव आयोग ने तेज बहादुर का नामांकन रद्द कर दिया था। आयोग ने यह फैसला प्रमाण पत्र देरी से पहुचने के कारण उठाया। तेज बहादुर ने याचिका में कहा है कि 30 अप्रैल को आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया और शाम 6:15 बजे तक सबूत पेश करने के लिए कहा गया था, उसने सबूत भी पेश कर दिया उसके बावजूद उसका नामांकन को रद्द कर दिया गया। 

वहीं इस मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि तेज बहादुर ने दो नामांकन दिए थे कोई भी व्यक्ति जो केंद्र या राज्य में नौकरी कर रहा हो और उससे बर्खास्त किया गया हो तो उसे ऐसे मामलों में सर्टिफिकेट देना होता है। ऐसा तब होता है जब बर्खास्तगी को पांच साल न हुए हो। ऐसे सभी मामलों में बाध्य है कि उम्मीदवार को सर्टिफिकेट देना होता है। 

उन्होंने बताया कि इस सर्टिफिकेट में एक फॉर्मेट होता है जो चुनाव आयोग को देना होता है कि वह भ्रष्ट्राचार और अनुशासनहीनता के चलते बर्खास्त नही हुआ। हमने 11 बजे तक का मौका दिया लेकिन उन्होंने इसका कोई प्रमाण नहीं दिया और उसके अभाव में उनका नामांकन रद्द कर दिया। तेज बहादुर पर आरोप है कि उन्होंने एक नामांकन-पत्र में उन्हें भ्रष्ट्राचार के कारण सेना से बर्खास्त किया गया था, लेकिन दूसरे नामांकन में उन्होंने इसकी जानकारी नही दी थी।