मध्य प्रदेश और राजस्थान में  सत्ता वापसी की कोशिशों में जुटी कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और सचिन पायलट की ओर से दायर दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इनमें मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग को मतदाता सूची का मसौदा टेक्स्ट फॉर्मेट में उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी। मध्य प्रदेश में 28 नवंबर और राजस्थान में साथ दिसंबर को विधानसभा चुनाव होना है। 

जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने याचिकाएं खारिज की हैं। इन नेताओं ने अपनी याचिका में मतदाता सूची में कथित तौर पर मतदाताओं का नाम दो बार शामिल होने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उक्त शिकायतों का उचित समाधान करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आठ अक्टूबर को इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

कमलनाथ ने अपनी याचिका में पीडीएफ फॉर्मेट के बजाय नियमों के अनुसार टेक्स्ट फॉर्मेट में मतदाता सूची प्रकाशित करने और अंतिम प्रकाशन से पूर्व सभी शिकायतों पर तुरंत फैसला लेने के लिए निर्देश जारी किए जाने चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने याचिका में कहा था कि सभी विधानसभा क्षेत्रों में वीवीपीएटी पर्चियों का 10 प्रतिशत मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से पड़ने वाले मतों के साथ मिलान करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाना चाहिए।

18 सितंबर को चुनाव आयोग ने अपने परिपत्र में मध्य प्रदेश में मतदाताओं की तस्वीर के बिना पीडीएफ फॉर्मेट में मतदाता सूची मुहैया कराए जाने को सही ठहराया था और कहा था कि यह मतदाताओं के डेटा में हेरफेर को रोकने के लिए किया गया था।

याचिकाओं में दोनों नेताओं ने आरोप लगाया था कि एक सर्वे के मुताबिक मध्य प्रदेश में 60 लाख से अधिक फर्जी मतदाता हैं। इसी तरह राजस्थान में 41 लाख से अधिक मतदाता फर्जी हैं। चुनाव आयोग ने राजस्थान में 71 लाख नए मतदाताओं को शामिल किया गया था। याचिका में विसंगतियों को दूर करने और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।