नई दिल्ली--जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार को नोटिस जारी किया है। अनुच्छेद-370 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चार लोगों ने जनहित याचिका दाखिल की थी।

याचिका में जम्मू-कश्मीर के संविधान को भारतीय संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा गया है कि ये भारतीय नागरिकों के साथ भेदभाव करता है, इसलिए इसे रद्द किया जाए।

भारतीय संसद से अनुच्छेद 370 में संशोधन का हक छीनने वाले राष्ट्रपति के 1954 के आदेश को भी रद्द करने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर के संबंध में एक ‘अस्थायी प्रावधान’ है और यह केंद्रीय तथा समवर्ती सूची के तहत आने वाले विषयों पर कानून बनाने के संसद के अधिकार में कटौती करके संविधान के विभिन्न प्रावधानों को लागू किए जाने को सीमित करता है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई , एसके कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जम्मू कश्मीर का संविधान भारतीय संविधान के खिलाफ है। कोर्ट ने याचिका को धारा 35ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ संलग्न किया।

1956 में जब जम्मू कश्मीर का संविधान बनाया गया था। इसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया है। इस संविधान के मुताबिक जम्मू कश्मीर का स्थायी नागरिक वही व्यक्ति हो सकता है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो।  या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो, साथ ही उसने वहां संपत्ति हासिल कर ली हो।