नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में लगभग 17 लाख मदरसा छात्रों को बड़ी राहत देते हुए यूपी मदरसा अधिनियम को रद्द करने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। इससे यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट, 2004 के तहत राज्य के लगभग 16 000 मदरसों में पढ़ाई जारी रखने की अनुमति मिल गई है।

CJI ने कहा हाईकोर्ट का फैसला प्रथम दृष्टया सही नहीं
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 3 जजों की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है। जिसमें सीजेआई के अलावा जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला प्रथम दृष्टया सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओ पर केंद्र, यूपी सरकार, यूपी मदरसा एजुकेशन बोर्ड को नोटिस जारी करते हुए 31 मई तक जवाब दखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में तय की गई है। तब तक हाईकोर्ट का आदेश स्थगित रहने का आदेश दे दिया गया है। 

यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट, 2004 को  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कर दिया था रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले महीने धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने के लिए यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट, 2004 को  असंवैधानिक घोषित किया था। राज्य सरकार को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में मदरसा छात्रों को समायोजित करने का निर्देश दिया था। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि मदरसा बोर्ड के लक्ष्य और उद्देश्य प्रकृति में नियामक हैं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय का प्रथम दृष्टया यह कहना सही नहीं है कि बोर्ड की स्थापना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करती है।

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