अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। दोनों तरफ से लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि को तीन भागों में बांटने वाले 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई जनवरी के पहले हफ्ते तक के लिए टाल दी है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ की ओर से जारी दो लाइन के आदेश में कहा गया कि इस मामले में तुरंत सुनवाई की जरूरत नहीं है। इसलिए सुनवाई जनवरी में होगी। सुनवाई के लिए उचित पीठ का गठन किया जाएगा। हालांकि सरकार ने तुरंत सुनवाई का अनुरोध करते हुए दिवाली के बाद सुनवाई का अनुरोध किया, जिसे कोर्ट ने नहीं माना।
यूपी सरकार के वकील तुषार मेहता ने इस मामले में कोर्ट से अपील की कि कोर्ट बताए कि मामले की जनवरी में कब से सुनवाई शुरू होगी। इसपर बेंच ने कहा कि यह फैसला नई पीठ करेगी। कोर्ट में चीफ रंजन गोगोई जस्टिस की पीठ में दोनों पक्षकारों ने दलील थी कि नंवबर में सुनवाई शुरू हो जाए लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले को जनवरी के लिए पहले हफ्ते के लिए टाला जाता है। तभी ये तय होगा कि कौन सी पीठ मामले की सुनवाई करेगी और सुनवाई की तारीख क्या होगी। कोर्ट ने कहा कि बेंच जनवरी में तय करेगी कि सुनवाई जनवरी में हो कि फरवरी या मार्च में। जल्द सुनवाई की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी अपनी प्राथमिकताएं है। उचित पीठ तय करेगी कि सुनवाई कब से शुरू हो।
इधर, एआईएमआईएम के नेता ने केंद्र को राम मंदिर के मुद्दे पर अध्यादेश लाने की चुनौती दी है। उन्होंने कहा, 'हम हर बार अध्यादेश की धमकी सुनते हैं। भाजपा, संघ, विहिप के नेता बार-बार यही बयान देते रहते हैं। आप सत्ता में हैं, मैं आपको चुनौती देता हूं, अध्यादेश लाकर दिखाएं।'
हिंदुओं का सब्र टूट रहा हैः गिरिराज
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, 'अब हिन्दुओं का सब्र टूट रहा है। मुझे भय है कि अगर हिंदुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा?' गिरिराज सिंह ने कहा, देश का दुर्भाग्य है कि हिंदुओं को प्रताड़ित होना पड़ा। आजादी के तुरंत बाद हिंदू-मुस्लिम के नाम पर देश का बंटवारा हुआ। उस समय अगर कांग्रेस ने हिंदुओं के आस्था का केंद्र प्रभु श्री राम का मंदिर बनवा दिया होता तो आज यह दुर्दशा नहीं होती। जवाहर लाल नेहरू ने वोट की खातिर इसे विवादित बनाकर रखा। कांग्रेस अब भी इसे विवादित बनाए रखना चाहती है।
Ab Hinduon ka sabr tut raha hai. Mujhe bhay hai ki Hinduon ka sabr tuta toh kya hoga: Union Minister Giriraj Singh on #RamTemple matter pic.twitter.com/XqWsuIk8lJ
— ANI (@ANI) October 29, 2018
उन्होंने कहा, कपिल सिब्बल कहते हैं कि अभी फैसला नआए, चुनाव है। यानी कांग्रेस चाहती है मंदिर नहीं बने, विवादित बना रहे। हम वोट लेते रहे, लेकिन 125 करोड़ हिंदू अब इंतजार करने के लिए तैयार नहीं। अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है। जिस तरह से हो, चाहे सरकार अध्यादेश लाए या कोर्ट फैसला करे, अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए। अब इंतजार नहीं।
अब फैसला होना चाहिए - इकबाल अंसारी
मामले में पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, 'अब फैसला होना चाहिए, क्योंकि मसला लंबा हो गया है। 70 साल का मसला है। इस सुनवाई से नेताओं के लिए चांदनी रात हो जाती है। फैसला होना चाहिए। झगड़ा खत्म होना चाहिए। हमने सबूत पेश किया है। राम मंदिर के लिए कोई नया कानून लाने की जरूरत नहीं है। अदालत फैसला करेगी।'
कांग्रेस देरी करे तो कुछ करना होगाः स्वामी
भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, मुझे लगता है कि हमें यह देखने के लिए दिसम्बर में एक रिव्यू करना चाहिए कि मामले को जल्दी से स्थगित किया जाएगा या कांग्रेस के वकील इसमें देरी के लिए कुछ अन्य विषयों का आवेदन देंगे। यदि इसमें देरी हो रही है तो हमें कुछ करना होगा।
I think we should take a review in December to see if Ram Temple matter is going to be quickly adjourned or again Congress lawyers will find some other interlocutory application to delay the matter. If it's going to be delayed then we'll have to take a call: Subramanian Swamy pic.twitter.com/vahfk1bwvm
— ANI (@ANI) October 29, 2018
कुछ मौलानाओं और कांग्रेस के कारण फंसा है मामलाः वसीम रिजवी
शिया वक्फ बोर्ड के चीफ वसीम रिजवी ने कहा कि कुछ कट्टरपंथी मुल्लाओं और कांग्रेस की सियासत के कारण यह मामला सुप्रीम कोर्ट में फंसा है। भगवान अपने घर के लिए अदालत के फैसले का इंतजार में है। यह शर्मनाक है।
Last Updated Oct 29, 2018, 2:20 PM IST