देश की आला अदालत ने मामले नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि संबंधित सरकारें समस्या से निपटारे को लेकर अपनी जिम्मेदारी का पालन नहीं कर रही हैं।
जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के साथ स्थानीय निकायें भूमिगत जल के दोहन को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठा रही। साथ ही इनके पास भूमिगत जल के पुर्नचक्रण और संरक्षण के लिए कोई प्रभावी योजना नहीं है।
अदालत ने केंद्र सरकार को तात्कालिक और दीर्घकालीन योजनाओं को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया ताकी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भूमिगत जल की कमी की समस्या से निपटा जा सके।
8 मई को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के अधिकांश हिस्सों में भूमिगत जल के अंधाधुंध दोहन को लेकर चिंता जताई थी। कोर्ट ने संबंधित ऑथोरिटिज़ को चेताते हुए कहा था कि भूमिगत जल की समस्या आने वाले समय में और विकराल हो सकती है।
केंद्रीय भूजल बोर्ड के तरफ से 2000 से लेकर 2017 तक ग्राउंडवाटर की तुलनात्मक हालत को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। सीजीडब्लूबी की रिर्सच रिपोर्ट में पिछले 17 वर्षों में भूमिगत जल के स्तर में भारी गिरावट पाई गई है।