शीर्ष अदालत ने कहा, आरबीआई बैंकों की जांच रिपोर्ट को आरटीआई के तहत मुहैया करवाने से मना नहीं कर सकता। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरटीआई के तहत बैंकों से संबंधित सूचना का खुलासा करने के लिए अपनी नीति की समीक्षा करने के भी निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट से रिजर्व बैंक (आरबीआई) को बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि रिजर्व बैंक फंसे हुए कर्ज के बकायादारों की सूची की सूचना गोपनीय नहीं रख सकता। बैंक को आरटीआई में इसका खुलासा करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को आरटीआई में ऐसे लोगों की वार्षिक जांच रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने रिपोर्ट का खुलासा करने पर रोक की नीति को वापस लेने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने रिजर्व बैंक को सूचना का खुलासा करने का आखिरी मौका दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि रिपोर्ट का खुलासा करने पर रोक लगाने की नीति कोर्ट के 2015 के आदेश के खिलाफ है।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि आरबीआई बैंकों की जांच रिपोर्ट को आरटीआई के तहत मुहैया करवाने से मना नहीं कर सकता। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरटीआई के तहत बैंकों से संबंधित सूचना का खुलासा करने के लिए अपनी नीति की समीक्षा करने के भी निर्देश दिए। पीठ ने कहा, ‘यह कानून के तहत उसकी ड्यूटी की बाध्यता है।’
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में रिजर्व बैंक और उसके पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के खिलाफ अवमानना करवाई की मांग की गई थी। आरटीआई कानून के तहत कुछ बैंकों के बारे में जानकारी न देने को लेकर याचिका दाखिल की गई थी। गिरीश मित्तल और सुभाष चंद्र अग्रवाल की याचिकाओं में दावा किया गया कि आरबीआई और उर्जित पटेल ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की, जिसमें आरबीआई से आरटीआई के तहत सूचना साझा करने को कहा गया था।
Last Updated Apr 26, 2019, 3:44 PM IST