कोर्ट ने कहा कि पूरे देश के लिए एक सामान्य आदेश कैसे पारित कर सकता है। क्योंकि देश में कोरोना की स्थिति विकट है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने कहा कि मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति देने के बाद इससे एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा सकता है और अराजकता फैल सकती है।
नई दिल्ली। मुहर्रम में जुलूस निकालने के पक्षधर लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने इसके लिए अनुमित देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि वह ऐसे आदेश नहीं दे सकता है जिससे लोगों की जिंदगी खतरे में पड़े। वहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपनी याचिका के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने के लिए कहा।
कोर्ट ने कहा कि पूरे देश के लिए एक सामान्य आदेश कैसे पारित कर सकता है। क्योंकि देश में कोरोना की स्थिति विकट है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने कहा कि मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति देने के बाद इससे एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा सकता है और अराजकता फैल सकती है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप एक सामान्य आदेश के लिए कह रहे हैं।
जबकि ये सामान्य नहीं है और अगर हम इसकी अनुमति देते हैं तो इससे अराजकता फैलने की आशंका है और इसके जरिए कोरोना फैलाने के नाम पर एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा सकता है। लिहाजा कोर्ट के रूप में हम सभी लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में नहीं डाल सकते हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लखनऊ में जुलूस की सीमित प्रार्थना के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का कहा और याचिका वापस लेने की अनुमति दी। असल में सुप्रीम कोर्ट में शिया नेता सैयद कल्बे जव्वाद की तरफ से याचिका दाखिल की थी।
लखनऊ में कब्बे जव्वाद बैठे में धरने में
असल में लखनऊ में शिया धर्म गुरु धरने पर बैठे थे। जव्वाद का कहना था कि मुहर्रम की छूट मिलनी चाहिए। जबकि राज्य सरकार कहना है कि राज्य में कोरोना से हालत खराब हैं। वहीं अभी तक हिंदू समुदाय ने कोरोना संकट को देखते किसी भी त्योहार को सामुहिक तौर पर नहीं मनाया। हिंदूओं ने होली से लेकर सभी त्योहारों को घरों में मनाया। लिहाजा सभी धर्मों को कोरोना संकट को देखते हुए उनका अनुसरण करना चाहिए।
Last Updated Aug 27, 2020, 3:33 PM IST